Tuesday, January 14, 2020

आपका ईमेल भी पर्यावरण के लिए खतरनाक पहुंचाता है प्रथ्वी को नुकसान....?


क्या आप जानते है आपका हर छोटा ईमेल धरती को विनाश की तरफ एक कदम और नजदीक ले जा रहा है। आपके इनबाक्स में हजारों ऐसे ईमेल दिख जाएंगे जिन्हें आप खोल कर भी नहीं देखते या सिर्फ नोटिफिकेशन में ही देख लेते हैं कि वो आपके काम का है या नहीं। शिष्टाचार के तौर पर कई बार ईमेल पर सिर्फ थैंक यू या वेलकम का ईमेल करना आम बात है। इस तरह के ईमेल करते हुए आपने सोचा भी नही होगा की आपका ये ईमेल पृथ्वी को विनाश की तरफ ले जा रहा है। इस एक ईमेल से शायद आपकी जीवन में कोई असर न पड़े,लेकिन पृथ्वी पर इसका गहरा असर पता है। 
आपके हर ईमेल से कार्बन उत्सर्जन होता है जो पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाता है। ब्रिटेन की एक एनर्जी कंपनी के रिसर्च का दावा है कि ब्रिटेन में हर दिन करीब 6 करोड़ 40 लाख ऐसे ईमेल किए जाते हैं जिनकी जरुरत नही होती। इनमें सबसे आम होते हैं थैंक यू ईमेल। इन ईमेल की वजह से हर साल 16,433 टन कार्बन रिलीज होता है। आप इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि साल भर में मुंबई से दिल्ली की 81,152 फ्लाइट से जितना कार्बन रिलीज होता है, 3,334 डीजल गाडियों से जितना कार्बन वातावरण में जाता है। उतना सिर्फ ब्रिटेन में साल भर के अनावश्यक ईमेल से होता है।
आम तौर पर इस्तेमाल होने वाले ईमेल जो ब्रिटेन में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होते हैं। आप भी दिन भर इस तरह के मेल करते होगें, या आपके पास इस तरह के ईमेल आते होगें लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई इस तरह के ईमेल की जरुरत नहीं है? या अगर कोई आपको ईमेल पर इस तरह के मैसेज न करे तो क्या आपके काम में फर्क पड़ेगा या आपको बुरा लगेगा। कई लोगों का मानना है कि इस तरह के छोटे-छोटे ईमेल करने से उनके बॉस, क्लाइंट खुश होते हैं,लेकिन क्या ये ईमेल पर्यावरण से ज्यादा जरुरी है? इस सवाल का जवाब भी इसी रिपोर्ट में है। 
71% लोगों का कहना है कि उन्हें THANK YOU  ईमेल न मिलने से कोई परेशानी नहीं है वहीं 87% लोग मानते हैं कि उन्हे खुशी होगी अगर इस तरह से ईमेल ट्रैफिक कम करके वो पर्यावरण को बचा सकेंगे। ये स्टडी सिर्फ ब्रिटेन में की गई है जिसकी जनसंख्या सिर्फ 6-7 करोड़ है. जिसमें से 4.51 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं और सिर्फ ब्रिटेन में अगर इन गैरजरूरी ईमेल से हर साल 16,433 टन कार्बन उत्सर्जन होता है, तो जरा सोचिए दुनिया भर में जहां 340 करोड़ इंटरनेट यूजर्स हैं कितना कार्बन हवा में रिलीज कर रहे हैं। दुनिया भर में अभी ये आंकड़ा तो नही आया है,लेकिन ब्रिटेन का ये आकड़ा हमें सचेत करने के लिए काफी है और ये बताने के लिए काफी है कि ये छोटे-छोटे ईमेल पृथ्वी पर बड़ा बोझ बनते जा रहे हैं।

Sunday, January 12, 2020

गर्भ में लड़की है या लड़का,भूत विज्ञान के साथ कुंडली देख बताते हैं बीमारी, कराते हैं हिंदी में इंजीनियरिंग ये यूनिवर्सिटीज....


काशी हिंदू विश्वविद्यालय में 13 जनवरी के बाद से आयुर्वेद विभाग में एक नया सर्टिफिकेट कोर्स भूत विज्ञान शुरू हो रहा है। इसी तरह से देश के कई विश्वविद्यालयों में ऐसे रोचक कोर्स कराए जाते हैं,जिनके बारे में हम आपको बता रहे हैं। # बनारस विश्वविद्यालय में होगी 'भूत विज्ञान' की पढ़ाई:-विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष यामिनी भूषण ने बताया कि एकेडमिक काउंसिल ऑफ काशी हिंदू विश्वविद्यालय ने इस कोर्स को मान्यता भी दे दी है। इस कोर्स की फीस 50 हजार रुपये होगी और इसकी अवधि 6 महीने की होगी। कोर्स को शुरू करने के साथ ही पहले सत्र में विभाग ने इसकी कुल 10 सीटें निश्चित की हैं। 
इस कोर्स का नाम सुनकर आपको लगता होगा कि इसमें क्या पढ़ाया जाएगा तो हम आपको बता दें कि इसमें साइकोलॉजी, फिजियोलॉजी, एनाटॉमी, मेडिसिन विषय की पढ़ाई होगी। कौन कर सकता है आवेदनभूत विज्ञान में अगर आप डिप्लोमा करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको मेडिकल ग्रेजुएट होना चाहिए। अन्य दूसरे स्ट्रीम के स्टूडेंट इस कोर्स में दाखिला नहीं ले सकते। इस कोर्स का उद्देश्य मानसिक बीमारी को भूत-प्रेत का असर मानने के अंधविश्वास को दूर करना है।
# छात्र ज्योतिष से बताते हैं पेट में लड़का है या लड़की:- देश के दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश के ग्वालियर में जीवाजी यूनिवर्सिटी में एमए ज्योतिर्विज्ञान की पढ़ाई कराई जाती है। दो साल के इस डिग्री प्रोग्राम में चार सेमेस्टर हैं। इस कोर्स की खासियत यह है कि यहां छात्रों को ज्योतिषीय गणना के द्वारा गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग बताने की कला सिखाई जाती है। कोर्स की दूसरी खासियत यह है कि कुंडली देख कर यह बताना सिखाया जाता है कि आगे व्यक्ति को कौन सा रोग हो सकता है और वह कैसे ठीक होगा। इस कोर्स की फीस 20 हजार रुपए है। नेता बनना सिखाती है यह यूनिवर्सिटी:- पंजाब यूनिवर्सिटी में एमए गवर्नमेंस एंड लीडरशिप प्रोग्राम की पढ़ाई कराई जाती है, जिसमें छात्रों को भाषण देना सिखाया जाता है। विश्वविद्यालय में इसकी कुल 15 सीट हैं। 
विश्वविद्यालय इसी विषय में एक डिप्लोमा कोर्स भी चलाता है।  इसमें भी 15 सीटें हैं। इस कोर्स में छात्रों को चुनाव प्रक्रिया, कैंपेनिंग करना और भाषण देना, वोट बटोरने के लिए संवाद कला सिखाई जाती है। यहां के छात्र मंत्रों से ठीक करते हैं डायबिटीज:- राजस्थान में जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय में मंत्र से चिकित्सा का कोर्स कराया जाता है। इस यूनिवर्सिटी में मंत्र प्रतिष्ठान के बैनर तले एडमिशन शुरू हो रहे हैं। इस विभाग में रिसर्च भी कराया जाता है। इस कोर्स में मधुमेह, ब्रेन, हार्ट सहित कई गंभीर बीमारियों का मंत्र के द्वारा इलाज करना सिखाया जाता है।
गर्भ संस्कार का कोर्स, हिंदी में इंजीनियरिंग:- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय में 2014 से गर्भ संस्कार तपोवन केंद्र खुला है। विश्वविद्यालय दावा करता है कि गर्भवती महिलाओं को हिंदू संस्कारों और गर्भ संवाद के जरिए स्वस्थ और बुद्धिमान शिशु पैदा करने में सहायता मिलेगी। इसके साथ ही इस विश्वविद्यालय में हिंदी में इंजीनियरिंग और एमबीए की पढ़ाई कराई जाती है।

आपकी जेब में सेंध लगाने वाले ऑटो रिक्शा के मीटर से ऐसे बचें...?

ऑटोरिक्शा में एक इलेक्ट्रॉनिक सॉकेट छिपाकर एक सीक्रेट बटन इंस्टाल किया जाता है जो सीधे ऑटो के मीटर से जुड़ा होता है। इस बटन के ज़रिये ऑटो का मीटर आम स्पीड के बजाय घोड़े की रफ़्तार से दौड़ने लगता है इसलिए इसे घोडा मीटर कहा जाता है। ऑटो में इंसटाल किये ज्यादा मुनाफा देने वाले ऐसे सीक्रेट बटन को GST बटन कहा जाता है। मीटर को तेज़ करनेवाला ये बटन अधिकतर, ऑटो स्टेयरिंग पर एक्सेलरेटर के पास छिपा होता है हालाँकि अलग अलग ऑटो में इस बटन की सीक्रेट लोकेशन अलग-अलग हो सकती है। इस बटन से मीटर इतना तेज़ हो सकता है कि बटन को मात्र 60 सेकंड के लिए ऑन रखने पर मीटर की रीडिंग 45 से 50 रुपये तक पहुँच सकती है, जी हाँ, सिर्फ 1 मिनट में 50 रुपये की रफ़्तार से मीटर दौड़ सकता है। 
हालांकि यात्रियों को मीटर को लेकर कोई शक न हो इसलिए ऑटो ड्राइवर इस बटन को कंटिन्यू ऑन नहीं रखते बल्कि वे इसे बीच-बीच में सिर्फ तब ऑन करते हैं जब पीछे बैठे पैसेंजर का उन पर या मीटर पर ध्यान नहीं होता याने अगर आप ऑटो में  बैठकर सुकून से मोबाइल पर किसी से बात कर रहे हैं, गेम खेल रहे हैं या कोई काम कर रहे हैं, या आप कोई किताब पढ़ने में व्यस्त हों या थकान मिटने के लिए नींद की झपकी ले रहे हों जिसे आप पावर-नैप भी कहते हैं तभी ये ऑटो ड्राइवर इस सीक्रेट बटन को ऑन करते हैं। इस वक्त एक तरफ आप जहाँ व्यस्त हैं तभी मीटर रीडिंग चालाकी से बढ़ा दी जाती है। 
अगर आप किसी नए या अनजान रूट पर सफर कर रहे हैं तो आपके साथ ठगी की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाती है क्यूंकि आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं होता कि इस नए या अनजान रुट पर आपके गंतव्य तक जाने का आमतौर पर किराया कितना होता है। उदहारण के लिए अगर A पॉइंट से B पॉइंट तक जाने का आम तौर पर किराया 100 रुपये है,लेकिन आपको इसकी जानकारी नहीं है ऐसे में ऑटो ड्राइवर ने इस चालाकी से आपसे 100 के बजाय 150 रुपये वसूल लिए तो आपको पता भी नहीं चलेगा कि कैसे आपको ठगा जा चूका है। इसी वजह से रेलवे स्टेशन, बस अड्डों और एयरपोर्ट्स पर अलग अलग शहरों से आनेवाले यात्रियों को शिकार बनाना इनके लिए ज्यादा आसान होता है। आखिर ये GST बटन' या घोडा मीटर क्या है और कैसे काम करता है। 
इस ठगी से कैसे बचें:-आपके ऑटो का मीटर कितना होगा इसे पता लगाने का गणित ज्यादा कठिन नहीं है. यह जानने के लिए आपको सिर्फ दो चीजें पता होना बेहद जरूरी है पहला ऑटो का रेट कार्ड और दूसरा आपके करंट लोकेशन से आपके गंतव्य स्थान यानी डेस्टिनेशन तक की दूरी (किलोमीटर में) सरकार द्वारा तय किए गए रेट के मुताबिक ऑटो रिक्शा का न्यूनतम किराया है पहले 1.5 किलोमीटर के लिए 18 या नहीं अगर आप ऑटो पर बैठकर भले ही 500 मीटर की दूरी तय करें या डेढ़ किलोमीटर तक जाएं आपको कम से कम 18 चुकाने तो पड़ेंगे ही जबकि शुरुआती डेढ़ किलोमीटर के बाद आपको प्रति किलोमीटर 12 रुपए 18 पैसे चुकाने पड़ेंगे। इसके अलावा डेस्टिनेशन तक की दूरी पता करने के लिए आप मैप या जीपीएस मोबाइल एप्लीकेशन की भी मदद ले सकते हैं। आइए अब आपको एक उदाहरण की मदद से यह गणित समझाते हैं। 
अगर आपको मान लीजिए 8 किलोमीटर की दूरी ऑटो से तय करनी है तो शुरुआती डेढ़ किलोमीटर के लिए आपको 18 चुकाने हैं जबकि बाकी 6.5 किलोमीटर के लिए आपको 12 रुपए 18 पैसे की दर से चुकाने हैं तकरीबन 79 रुपए, यानी कुल मिलाकर 97 रुपए। न्यूनतम किराया = 18 रु. 6.5×12.18= 79रु. 18+79 = 97 रु. हालांकि ट्रैफिक के मुताबिक इस कीमत में थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच हो सकती है लेकिन अगर आपके मीटर में अगर बहुत ज्यादा अंतर है तो मुमकिन है कि उस मीटर में छेड़छाड़ की गई ऐसे में आप ऐसे ऑटो रिक्शा चालकों की तुरंत शिकायत कर सकते हैं। आप जिस शहर में है वहां के रीजनल ट्रैफिक ऑफिस यानी आरटीओ दफ्तर में शिकायत कर सकते हैं। आरटीओ ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर 1800220110 पर फोन कभी आप अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 
इस हेल्पलाइन के जरिए 1) आप को अगर कोई ऑटो या टैक्सी कहीं जाने से मना कर दे उसकी भी शिकायत कर सकते हैं, 2) अगर कोई ऑटो या टैक्सी ड्राइवर आपके साथ मिसबिहेव करें, बुरा व्यवहार करें उसकी भी आप शिकायत कर सकते हैं। 3) अगर कोई आपसे ज्यादा किराया वसूले उसकी आप शिकायत कर सकते हैं 4) ऑटो या टैक्सी मीटर से जुड़ी शिकायत भी आप इसी हेल्पलाइन पर कर सकते हैं। 5) इसके अलावा ऑटो और टैक्सी से जुड़ी अन्य शिकायतों के लिए भी आप इसी हेल्पलाइन नंबर की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप जब भी ऑटो रिक्शा या टैक्सी में बैठे तब आपको अपने मोबाइल फोन में व्यस्त रहने के साथ-साथ ऑटो चालक पर भी निगरानी रखनी चाहिए। ऐसे में अगली बार आप जब भी ऑटो या टैक्सी में सफर करें तो सतर्क रहें।

नदी सफाई अभियानाचे कार्य प्रगतीपथावर

नागपूर: -   नागपूर महानगरपालिका आयुक्त तथा प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी यांच्या मार्गदर्शनात आणि अतिरिक्त आयुक्त श्रीमती आंचल गोयल यांच्या नेतृत...