Tuesday, November 28, 2023

लड़के के अपहरण वाली जबरन शादी यानि पकड़ुआ विवाह…जाने क्या सही क्या गलत...?

भारत में साल 1961 में दहेज कानून बनाया गया, जिसमें दहेज लेन-देन को अपराध की श्रेणी में रखा गया। इसके बाद बिहार के गंगा बेल्ट के कई हिस्सों से पकड़ुआ विवाह के मामले सामने आने लगे,अभी भी पटना, बेगूसराय, मोकामा और नवादा पकड़ुआ विवाह का केंद्र बना हुआ है। पकड़ुआ विवाह प्रचलन शुरू होने की एक बड़ी वजह दहेज था। शुरुआत में जब लड़की वाले दहेज नहीं दे पाते थे, तब वे शादी के इस तरीके को अपनाते थे। दहेज कानून होने की वजह से मामला थाने में भी नहीं जा पाता था,बाद के सालों में यह शादी 
ऑर्गेनाइज तरीके से होने लगी। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस काम को बकायदा सांगठनिक तरीके से अंजाम दिया जाता है। बिहार के गंगा बेल्ट में अभी भी कई गैंग सक्रिय हैं,जो पकड़ुआ विवाह को पूर्ण करवाने का ठेका लेता है। पकड़ुआ विवाह में सबसे पहले लड़के का अपहरण किया जाता है और फिर उसे कुछ दिन के लिए किसी अनजान जगह पर रखा जाता है। मुहूर्त के दिन लड़के की शादी पंडित से विधिवत करवाई जाती है। शादी के बाद दुल्हन को दुल्हे के घर भेज दिया जाता है। 
पकड़ुआ विवाह के अधिकांश मामलों में लड़का या तो सरकारी नौकरी में रहता है या किसी अच्छे जगह पर सैटल रहता है। जानकारों का कहना है कि पकड़ुआ विवाह की सबसे बड़ी वजह इन सरकारी नौकरी वाले लड़कों को दहेज न दे पाना है। कई केस तो ऐसे सामने आए हैं, जिसमें लड़के और लड़की के परिवार के बीच शादी की बात फाइनल हो गया होता है, लेकिन दहेज की वजह से शादी रूका रहता है। पकड़ुआ विवाह के कई मामले लड़कियों के अशिक्षित होने की वजह से भी सामने आ रहे हैं। 



गंगा बेल्ट में ऊंच जातियों के लोग अभी भी अपनी बेटियों के लिए पढ़ाई-लिखाई को ज्यादा तरजीह नहीं देते है। ऐसे में जब अरैंज मैरिज के दौरान शिक्षा को लेकर बात नहीं बनती है, तो इस लड़की वालों की तरफ से इस तरह का कदम उठाया जाता है। पकड़ुआ विवाह में तेजी की एक वजह आपसी रिश्ते में शादी कराना भी है। 2022 में समस्तीपुर में एक केस सामने आया था, जिसमें एक लड़के की शादी उसके बहन की ननद से ही करा दी गई थी। लड़का अपने बहन को छोड़ने के लिए उसके ससुराल आया था।  पटना वुमेंस कॉलेज ने 2020 में बिहार में पकड़ुआ विवाह को लेकर एक शोध किया था। 
इस शोध के मुताबिक पकड़ुआ शादी के सफल होने पर सस्पेंस बना रहता है।  इसकी बड़ी वजह लड़के के परिवार की लड़की को लेकर सोच रहती है। इस शोध के लिए 600 लोगों से बात भी की गई, जिसमें से 47 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पकड़ुआ विवाह में लड़की और लड़का दोनों विक्टिम रहता है। 58 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इस तरह की शादी लंबे समय तक सफल नहीं रह पाती है। 1970 के आसपास प्रचलन में आया यह विवाह 90 दशक में काफी फला-फूला हाल के वर्षों में भी पकड़ुआ विवाह के मामले में काफी बढ़ोतरी देखी गई। स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक बिहार में 2020 में जबरन शादी कराने के 7,194, 2019 में 10,295, 2018 में 10,310 और 2017 में 8,927 मामले सामने आए। 


हालांकि, इसमें से अधिकांश मामले आपसी सहमति से निपटाए गए। बिहार पुलिस मुख्यालय के मुताबिक 2020 में पकड़ुआ विवाह के 33 तथा 2021 में 14 मामले दर्ज किए गए। बिहार के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक पकड़ुआ विवाह के उन्हीं मामलों को केस के रूप में दर्ज किया जाता है, जिसमें समझौते की गुंजाइश पूरी तरह खत्म रहती है। पटना हाईकोर्ट के एक फैसले के बाद बिहार का पकड़ुआ विवाह (जबरन शादी) सुर्खियों में है। हाईकोर्ट की डबल बेंच ने शादी को लेकर आपसी सहमति पर जोर दिया है। कोर्ट ने पकड़ुआ विवाह के एक मामले को रद्द करते हुए कहा है कि सिर्फ मांग में सिंदूर भर देना शादी नहीं है। बिहार में पकड़ुआ विवाह के बढ़ते मामले के बीच हाईकोर्ट का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है।  
 
 
 

कांग्रेस पार्टी RSS की अम्मा है...AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी

तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष रेवंत रेड्डी ने कहा है कि वह AIMIM [ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन] असदुद्दीन ओवैसी को बाहर नहीं निकलने देंगे। हैदराबाद के मेहदीपट्टनम में एक रैली को संबोधित करते हुए ओवैसी ने इसका जवाब देते हुए कहा,कांग्रेस का सदर (तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष) बोलते हैं कि ओवैसी को मैं हैदराबाद से बाहर नहीं निकलने दूंगा। तुम क्या, तुम्हारा बाप भी बाहर निकलने से 
रोक नहीं पाएगा। यह हैदराबाद हमारा है। हैदराबाद को AIMIM का गढ़ माना जाता है।  जनसभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने कहा कि तुम (तेलंगाना कांग्रेस अध्यक्ष) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [RSS] से निकले हो और तुमने वर्षों RSS में गुजारे हैं। RSS  में जो एक बार जाता है, RSS उसे छोड़ती नहीं है। इसलिए उसने ओवैसी पर हमला नहीं किया, उन्होंने हर शेरवानी, टोपी वाले पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना [UBT] नेता उद्धव ठाकरे को कांग्रेस ने महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाया। उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र की विधानसभा में कहते हैं कि हमें गर्व है कि हमने बाबरी मस्जिद को गिराया। कांग्रेस पार्टी [RSS] की मां है।
दरअसल, महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी सरकार के समय उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे। इस गठबंधन में कांग्रेस, शिवसेना [UBT] और NCP शामिल हैं। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा है कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तेलंगाना का पहला दलित मुख्यमंत्री बनाने का वादा तोड़ा है। उन्होंने इसे लेकर KCR से सवाल भी किया। खरगे ने कहा, उन्होंने [KCR] कहा था कि वह एक दलित को मुख्यमंत्री बनाएंगे, लेकिन क्या उन्होंने ऐसा किया? उन्होंने तेलंगाना की जनता से किए गए वादों को पूरा नहीं करने के लिए भी राव पर निशाना साधा। 
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और AIMIM [ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन] के बीच काफी टकराव देखने को मिल रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी समेत उनकी पार्टी के नेताओं ने AIMIM को बीजेपी की बी टीम बताया है। हैदराबाद सांसद और AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी लगातार इस मुद्दे पर कांग्रेस को जवाब दे रहे हैं और अब उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला बोला है।  

आखिर क्यू मराठा आरक्षण के खिलाफ NCP नेता छगन भुजबल पुराने प्रमाणपत्रों का दे रहें तर्क....?

महाराष्ट्र सरकार के मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कदावर नेता छगन भुजबल ने कहा कि मराठाओं को आरक्षण देते समय ओबीसी के लिए मौजूदा आरक्षण को कम नहीं किया जाना चाहिए। भुजबल ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने स्वतंत्रता पूर्व काल में निजाम शासन से कुनबी संबद्धता का पता लगाने के लिए समिति बनाई थी। उन्होंने कहा,मुझे इस प्रक्रिया से कोई आपत्ति नहीं है। मैं राज्य के अन्य क्षेत्रों के लोगों के विरुद्ध हूं जो कुनबी प्रमाणपत्र पाने के लिए झूठे दावे कर रहे हैं ताकि वे शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण के मौजूदा लाभ उठा सकें। भुजबल राज्य के प्रमुख ओबीसी नेता हैं। उन्होंने कहा,शिंदे समिति को 
मराठवाड़ा क्षेत्र में पर्याप्त प्रमाण मिले हैं। मराठवाड़ा के पात्र लोगों को प्रमाणपत्र मिलने चाहिए। उसका काम पूरा हो गया है और अब इसे भंग किया जाना चाहिए।  उन्होंने रविवार को हिंगोली जिले में एक रैली में भी इसी तरह की बात कही थी।  एनसीपी नेता ने कहा,हमारे नेता प्रकाश शेंदगे ने मुख्यमंत्री को करीब 7-8 दस्तावेज दिखाएं हैं जिनमें पुराने प्रमाणपत्रों में कलम से छेड़छाड़ की गई। 
इस तरह के फर्जी दावों पर विचार नहीं होना चाहिए और इस तरह के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र नहीं दिए जाने चाहिए। छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि मराठा आरक्षण की मांग के मुद्दे पर बनी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) संदीप शिंदे की अध्यक्षता वाली समिति को भंग कर दिया जाना चाहिए क्योंकि उसका काम पूरा हो गया हैभुजबल ने कहा कि वह मराठाओं को अलग से आरक्षण के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन फर्जी या जाली दस्तावेज जमा करके कुनबी (जाति) प्रमाणपत्र प्राप्त करने के तरीके के खिलाफ हैं। 


राज्य सरकार ने मराठा समुदाय के उन लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र देने के लिए विशेष परिचालन प्रक्रिया (एसओपी) तय करने के लिहाज से न्यायमूर्ति शिंदे की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय समिति बनाई थी, जिन्हें निजाम कालीन दस्तावेजों में कुनबी कहा गया है। कुनबी (खेती से जुड़ा समुदाय) को महाराष्ट्र में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में रखा गया है। कार्यकर्ता मनोज जरांगे के नेतृत्व में मराठा समुदाय मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग कर रहा है।  

एक पेड़ लगाओ पांच यूनिट बिजली मुफ्त पाओ झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने एक साल पहले वन महोत्सव के दौरान घोषणा की थी कि शहरी क्षेत्रों में जो लोग अपने आवासीय परिसर में पेड़ लगाएंगे, उन्हें प्रति पेड़ पांच यूनिट बिजली पर सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने इस योजना को वित्तीय वर्ष 2023-24 से लागू करने की स्वीकृति दी है। यह लाभ निजी आवासीय परिसर में फलदार और बड़े छायादार वृक्ष लगाने पर ही मिलेगा। जब तक कैंपस अथवा घरों के परिसर में पेड़ रहेंगे, उपभोक्ताओं को बिजली बिल में छूट का यह लाभ मिलता रहेगा। झारखंड में पेड़ 

लगाओ,बिजली बिल में छूट पाओ की योजना शुरू हो गई है। इसके तहत फरवरी महीने तक लोग नगर निकायों के दफ्तर में आवेदन कर सकेंगे। यह योजना सिर्फ शहरी क्षेत्रों के लिए है, जिसमें पौधे लगाने वालों को प्रति पेड़ पांच यूनिट बिजली मुफ्त मिलेगी। यह लाभ अधिकतम पांच पेड़ के लिए मिलेगा, यानी एक उपभोक्ता पांच पेड़ों के एवज में 25 यूनिट तक की मुफ्त बिजली का लाभ ले सकेगा।  इस योजना को सरकार ने जुलाई महीने में ही मंजूरी थी। इस योजना का उद्देश्य राज्य के शहरी क्षेत्रों में हरियाली को विकसित करना और पर्यावरण को स्वच्छ रखना है। 

आवासीय परिसरों में लगाए गए पेड़ों की गणना नगर निकाय करेगा और इसकी सूची वन विभाग को सौंपी जाएगी। वन विभाग पेड़ों की सूची के आधार पर इसकी मॉनिटरिंग करेगी और पेड़ों की लंबाई चौड़ाई मापने के बाद इस योजना के योग्य लाभुकों की सूची बिजली विभाग को सौंपेगा। इससे पहले झारखंड सरकार ने सरकारी योजनाओं तक जरूरतमंद लोगों की पहुंच आसान करने और राशन कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, पेंशन योजना, जॉब कार्ड, आयुष्मान कार्ड, स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड सहित अलग-अलग तरह के आवेदनों का मौके पर निपटारा करने के लिए आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार अभियान की शुरुआत की थी।

पहले खिलाए अंडे फिर मारे डंडे...

मध्य प्रदेश के रामनगर थाना क्षेत्र के खैरहनी गांव में अंडे के विवाद में डंडे चल गए इस दौरान एक युवक का सिर फूट गया, जिसे इलाज के लिए रामनगर अस्पताल में भर्ती कराया गया शिवलाल रावत पर आरोपी बबलू और उसकी मां ने डंडे से हमला कर दिया। दरअसल,गांव में ही बबलू ने अंडा खाने की दावत दी थी घर पर अंडा खाने के लिए शिवलाल को बुलाया गया थाजब शिवलाल अंडा खाकर जाने लगा तभी उसने कहा कि पैसे दो अंडे के यह तो पैसे वाली दावत थी इसी बात को लेकर दोनों के बीच बहस शुरू हो हुई 
हालांकि शिवलाल ने दूसरे दिन पैसे देने की बात कही और अपने घर जाने लगा तभी आरोपी बबलू और उसकी मां ने डंडे से हमला कर दियाइस मामले में पीडि़त ने अपने परिजनों की मदद से घटना की रिपोर्ट रामनगर थाने में दर्ज कराई है पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया हैदावत देकर 48 वर्षीय युवक का सिर फोड़ने के मामले में पुलिस ने विभिन्न धाराओं में मां-बेटे के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है घायल का इलाज जारी है पीड़ित ने बताया कि उसके परिवार के सभी सदस्य एक वैवाहिक कार्यक्रम में गये थे,तभी आरोपी बबलू रावत अपने घर ले गया थाघर में अंडा खिलाने के बाद पैसे मांगने लगा और इसी बात को लेकर विवाद हुआजिन अंडों को लेकर इस विवाद हुआ उनकी कीमत मात्र 20 रुपये थी

Friday, November 24, 2023

कैदी नेता चुनाव लड़ सकते है,लेकिन कैदियों को मतदान देने का अधिकार नहीं कैदी वोट देने से वंचित क्यू....?

भारत जैसे लोकतंत्र जिसमें महिला, पुरुष, युवा, बुजुर्ग तथा दिव्यांग के साथ मतदान का अधिकार थर्ड जेण्डर को भी प्राप्त है इस लोकतंत्र के पर्व में उसकी भी हिस्सेदारी हो सके,लेकिन देश के विभिन्न जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों को मतदान देने का अधिकार नहीं है, वहीं जेल में बंद विचाराधीन कैदी नेता चुनाव लड़ सकते है,लेकिन अब देश की जेलों में बंद कैदियों को मतदान का अधिकार देने की मांग उठने लगी है।  इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार व 
चुनाव आयोग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मुद्दे पर अब देश में बहस छिड़ गई है कि जो चुनाव लड़ सकता है वह मतदान क्यों नहीं कर सकता। देश भर में विचाराधीन कैदियों की बहुत अधिक संख्या है जो वोट के अधिकार से वंचित हैं। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 62(5) के तहत,पुलिस की कानूनी हिरासत में और कारावास की सजा काटने वाले व्यक्ति मतदान नहीं कर सकते। जन प्रतिनिधित्व कानून की उक्त धारा में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति जो जेल में बंद हो, वह किसी भी चुनाव में मतदान नहीं कर सकेगा।



ऐसे व्यक्ति को चाहे कारावास हुआ हो, वह ट्रांजिट रिमांड पर हो या पुलिस हिरासत में, उसे मतदान की पात्रता नहीं होगी। इसके लिए कुछ सामाजिक कार्यकर्ता बंदियों को मत देने के अधिकार के लिए कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे है। इसके अलावा वे नागरिक जिन्हें कानून द्वारा भ्रष्ट आचरण या चुनाव से संबंधित किसी भी अवैध कार्य के कारण मतदाता बनने के हकदार से वंचित कर दिया जाता है वो चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं। कोरिया जिला जेल अधीक्षक अक्षय तिवारी ने जानकारी देते हुए बताया कि देश के कानून अनुसार जेल में कैद विचाराधीन या सजा काट रहे कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं है। उन्होंने बताया कि बैकुंठपुर जिला जेल में ऐसे बंदियों की संख्या 175 है। 




श्री तिवारी ने आगे बताया कि जानकारी के अनुसार बंदियों को भी देश भर में मतदान का अधिकार मिल सके। इसे लेकर माननीय उच्चतम न्यायालय में जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। जिला जेल बैकुंठपुर में 148 पुरुष कैदियों को रखने की क्षमता है। वहीं 20 महिलाओं कैदियों के रखने की क्षमता है,लेकिन वर्तमान समय में 165 पुरुष विचाराधीन कैदी है, जबकि 10 महिला विचाराधीन कैदी है।  कुल 175 विचाराधीन कैदियों को मतदान का अधिकार नहीं मिला। इनमें से 3 से 4 बंदी सजा काट रहे है।

हमारी आंखें, लीवर, किडनी और अन्य अंग ले लो हमें कर्ज मुक्त करो महाराष्ट्र की शिंदे सरकार से किसानों ने लगाई गुहार....

महाराष्ट्र हिंगोली के गोरेगांव के कर्ज से प्रभावित 10 किसानों ने मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से उनके शरीर के अंगों को बेचने और स्थानीय बैंकों से बकाया ऋण की वसूली करने के लिए कहा है। किसानों ने सीएम को एक पत्र लिखकर अपनी आंखें, लीवर, किडनी और अन्य अंग बेचने की पेशकश की है, जिससे प्राप्त आय का उपयोग उनके लंबित बकाया को चुकाने के लिए किया जा सकता है। इस चौंकाने वाले कदम पर कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष विजय वडेट्टीवार और शिवसेना (यूबीटी) के किसान नेता किशोर तिवारी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। अधिकारियों की सहायता करने के लिए, किसानों ने अपने कीमती शरीर के अंगों के लिए एक रेट-कार्ड भी जारी किया है- 90,000 रुपये प्रति लीवर, 75,000 रुपये प्रति किडनी और 25,000 रुपये प्रति आंख।  कवरखे ने कहा कि अब पत्नियां, बच्चे और परिवार के 

अन्य सदस्य भी बैंकों और निजी ऋणदाताओं के लगातार उत्पीड़न से बचने के लिए अपने शरीर के अंगों आदि को त्यागने के लिए स्वेच्छा से आगे आए हैं। जाधव, मुले और अन्य ने दावा किया, यह सिर्फ शुरुआत है। हिंगोली और पड़ोसी जिलों के सैकड़ों किसान आगे आकर अपना कर्ज चुकाने और शांति से जीने की उम्मीद के लिए अपने शरीर के अंगों को बेचने की योजना बना रहे हैं। अनपेड लोन वाले किसान हैं,दीपक कवरखे (3 लाख रुपये), नामदेव पतंगे (2.99 लाख रुपये), धीरज मपारी (2.25 लाख रुपये), गजानन कवरखे (2 लाख रुपये), रामेश्वर कवरखे, अशोक कवरखे, गजानन जाधव (1.50 लाख रुपये प्रत्येक), दशरथ मुले (1.20 लाख रुपये), विजय कवरखे (1.10 लाख रुपये)
रामेश्वर कवरखे (90,000 रुपये) हस्ताक्षरकर्ताओं में से एक गजानन कवरखे ने आईएएनएस को बताया, हमने सीएम को संबोधित ज्ञापन सेनगांव तहसीलदार और गोरेगांव पुलिस स्टेशन को सौंप दिया है और इसे सीएम तक पहुंचाने का अनुरोध किया है। उन्होंने हमारे संचार को स्वीकार कर लिया है, लेकिन आगे कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।अपनी निराशा बताते हुए कवरखे ने कहा,यहां के किसान कपास और सोयाबीन की खेती करते हैं लेकिन इस साल मौसम की समस्याओं और खेतों में खड़ी फसलों पर बीमारियों की मार के कारण लगभग 80 प्रतिशत फसल बर्बाद हो गई। परेशान टिलरों ने बताया कि गंभीर नुकसान के साथ खरीफ सीजन व्यावहारिक रूप से नष्ट हो गया और अब किसानों के पास चालू रबी सीजन की बुआई के लिए पैसे या संसाधन नहीं हैं। कवरखे ने अफसोस जताते हुए कहा,फसल बीमा या यहां तक कि सरकार की ऋण माफी की बड़ी घोषणा के रूप में कोई मदद नहीं मिल रही है। 

कोई उचित मूल्य निर्धारण तंत्र या न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं है। हमारी खेती की लागत आय से दोगुनी है। अब जीवित रहना असंभव हो गया है। हमारे पास अपने शरीर के अंगों को बेचने और कर्ज चुकाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। मुंबई में वडेट्टीवार ने इसे अत्यंत गंभीर मामला बताया और राज्य सरकार से महाराष्ट्र में तुरंत सूखा घोषित करने और पीड़ित किसानों को आवश्यक सहायता प्रदान करने का आग्रह किया। यवतमाल में तिवारी ने जमीनी हकीकतों की अनदेखी करने या राज्य के बड़े हिस्से में सूखे की गंभीर स्थिति के लिए सरकार की आलोचना की, जिसने किसानों को ऐसे चरम कदम उठाने के लिए मजबूर किया है।
वडेट्टीवार ने कहा कि,अगर ये किसान विधायक या सांसद होते, तो राज्य सरकार उनके पास खोखा (करोड़ रुपये के लिए बोली जाने वाली भाषा) लेकर दौड़ पड़ती,लेकिन उसी शासन के पास इन सूखा प्रभावित और कर्ज के बोझ से दबे किसानों के लिए कोई धन नहीं है।

दुनिया एक परिवार है और हम सबको आर्य बनाएंगे,हिंदू हिंदू से संपर्क करें....RSS चीफ मोहन भागवत ने किया आव्हान....

थाइलैंड की राजधानी में बैंकॉक तीसरी विश्व हिंदू कांग्रेस [WHC] के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ [RSS] के प्रमुख मोहन भागवत ने दुनिया भर के हिंदुओं से अपील की कि वे एक दूसरे से जुड़ें और मिलकर दुनिया से कड़ी जोड़ें। उन्होंने आगे कहा,दुनिया एक परिवार है और हम सबको आर्य बनाएंगे। उन्होंने दुनिया भर से आए विचारकों, कार्यकर्ताओं, नेताओं और उद्यमियों को संबोधित करते हुए कहा,हमें हर हिंदू तक पहुंचना होगा, संपर्क साधना होगा। सभी हिंदू मिलकर दुनिया में सभी से संपर्क साधेंगे। हिंदू अधिक से अधिक संख्या में जुड़ रहे हैं और दुनिया के साथ जुड़ने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा,इसके लिए हमें साथ आना 
होगा, साथ रहना होगा और साथ में काम करना होगा। भागवत ने कहा, सभी को दुनिया के लिए कुछ योगदान देना होगा। हमने अपनी विशेषता पहचान ली है। हमारे अंदर सभी के प्रति सम्मान है। हमारे पूर्वजों ने इसे पहचाना था,लेकिन हम इस कौशल को भूल गए और टुकड़ों में बांट दिए गए और अधीन हो गए। अब हमें एक साथ आना होगा। उन्होंने कहा कि आक्रोश, घृणा, घृणा भरे भाषण, द्वेष और अहंकार लोगों को साथ में आने से रोकते हैं और समाज या संगठन को तोड़ देते हैं। 
भागवत ने कहा,आज का विश्व लड़खड़ा रहा है। 2,000 साल से उन्होंने खुशी, आनंद और शांति लाने के लिए अनेक प्रयोग किए हैं। उन्होंने भौतिकवाद,साम्यवाद और पूंजीवाद के प्रयोग किए हैं। उन्होंने अनेक धर्मों से जुड़े प्रयोग किए हैं। उन्हें भौतिक समृद्धि मिल गई है, लेकिन संतोष नहीं है। उन्होंने कहा,कोविड महामारी के बाद उन्होंने पुनर्विचार करना शुरू किया। अब ऐसा लगता है कि वे यह सोचने में एकमत हैं कि भारत रास्ता दिखाएगा। भागवत ने कहा,हमें सभी के पास जाकर संपर्क करना होगा, उनसे जुड़ना होगा और अपनी सेवाओं से उन्हें अपनी ओर लाना होगा, हमारे पास उमंग है। 


हम निस्वार्थ सेवा के मामले में दुनिया में अग्रणी हैं, यह हमारी परंपराओं और मूल्यों में है। इसलिए लोगों तक पहुंचिए और दिल जीतिए। वर्ल्ड हिंदू फाउंडेशन के संस्थापक और वैश्विक अध्यक्ष स्वामी विज्ञानानंद ने शंख बजाकर सम्मेलन की शुरुआत की। इसमें 60 से अधिक देशों के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों को दुनियाभर में हिंदुओं के समक्ष आ रहीं चुनौतियों पर विचार-विमर्श का अवसर मिलेगा। भागवत ने कहा कि हिंदुओं को वसुधैव कुटुम्बकम की भावना का प्रसार करने में अहम भूमिका निभानी होगी।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भौतिकवाद, साम्यवाद और पूंजीवाद के साथ प्रयोगों के बाद लड़खड़ा रही दुनिया को प्रसन्नता और संतोष का मार्ग भारत दिखाएगा।

अजित पवार गुट और शिंदे गट के विधायक- सांसद भविष्य में बीजेपी पार्टी में शामिल हो जाएंगे...संजय राउत के बयान से गरमाई राजनीति

महाराष्ट्र में बीते लगभग एकवर्ष से राजनीति के उतार चड़ाव में कई बदलाव आए।  शिवसेना से विद्रोह के बाद पिछले साल जून में शिवसेना विभाजित हो गई थी और एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया।  इस साल 2 जुलाई को अजित पवार और आठ विधायकों के शिंदे सरकार में शामिल होने के बाद एनसीपी को विभाजन का सामना करना पड़ा था। उस वक्त अजित पवार ने शरद पवार को झटका देते हुए शिवसेना और बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम पद 
की शपथ ली और उनके साथ आए विधायकों को भी आगे चलकर राज्य में मंत्री पद मिला। जैसे ही अजित पवार ने शरद पवार का साथ छोड़ा उन्होंने फिर एनसीपी पार्टी और अध्यक्ष पद को लेकर भी दावा कर दिया है।  इसकी सुनवाई निर्वाचन आयोग कर रहा है। राज्यसभा सदस्य शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अगर बीजेपी अजित पवार खेमे और शिंदे नीत शिवसेना के सांसदों और विधायकों को टिकट देती है तो वे उसके चुनाव चिह्न पर लड़ेंगे। 

राउत ने दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक और सांसद भविष्य में बीजेपी पार्टी में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा, मेरे पास जो विश्वसनीय जानकारी है, उसके अनुसार अजित पवार खेमे (राकांपा) के अधिकतर विधायक और सांसद तथा शिंदे खेमे के लगभग सभी विधायक और सांसद भविष्य में बीजेपी में शामिल हो जाएंगे राउत ने कहा कि शिंदे और अजित पवार खेमों के विधायकों और सांसदों को क्रमश: तीर कमान और घड़ी चुनाव चिह्न नहीं मिलेंगे और उन्हें बीजेपी के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरना होगा राउत ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार को छोड़ने वाले अधिकतर सांसद-विधायक चुनाव हार जाएंगे

Thursday, November 23, 2023

सिख धर्म का प्रतिनिधित्व करने वाले कौन होते है पंज [पाँच] प्यारे + क्या है पंच ककारों की मर्यादा....?

सिख धर्म में जब भी कोई शुभ कार्य आरंभ किया जाता है उसमें पंज प्यारो की अहम भूमिका होती है। चाहे अमृत पान करना हो या किसी के द्वारा अनजाने में कोई बहुत बड़ी भूल हो गई हो या धर्म पर कोई आंच आ रही हो जिससे सिख संगत की हानी हो सकती है ऐसे में पंज प्यारे मोर्चा संभालकर संगत को मार्गदर्शन देते है वहीं शोभा यात्रा का नेतृत्व की अगुवाई में पंज प्यारे हमेशा से ही आगे चलते है। 1699 में सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह ने पांच लोगों को (भाई दया सिंह, भाई साहिब सिंह, भाई धर्म सिंह, भाई हिम्मत सिंह
भाई मोहकम सिंह) को यह नाम दिया था। पंच प्यारे सिख धर्म में पांच भक्तों का समूह है जो गुरु गोबिंद सिंह जी के समय में उनके साथ थे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन पं प्यारों को खालसा पंथ की स्थापना के लिए अपने साथ रखा था और उन्हें खालसा समुदाय के स्थानांतरण करने का कारण भी बनाया था। इन पं प्यारों ने गुरु गोबिंद सिंह जी के आदेशों का पालन करते हुए खालसा पंथ की स्थापना में अहम भूमिका निभाई और उनकी शिक्षा का पालन किया। इन्हें खालसा ब्रिगेड भी कहा जाता है कहते हैं कि इन पंज प्यारों ने सिख इतिहास को मूल आधार प्रदान किया और सिख धर्म को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।

इन आध्यात्मिक योद्धाओं ने न केवल युद्ध के मैदान में विरोधियों से लड़ने की शपथ ली, बल्कि विनम्रता और सेवा भाव को भी दिखाया। पंज प्यारों को खंडा दी पाहुल को शुरू करने, गुरुद्वारा भवन की आधारशिला रखने, कार-सेवा का उद्घाटन करने, प्रमुख धार्मिक जुलूसों का नेतृत्व करने या सिख धर्म से जुड़े सभी प्रमुख कार्यों व समारोहों में अहमियत दी जाती है। आज भी पंज प्यारों को नगर कीर्तन या शोभा यात्रा के दौरान विशेष महत्व दिया जाता है और वे ही शोभा यात्रा का प्रतिनिधित्व करते हैं। सिखों के दसवें गुरू गुरु गोविन्द सिंह के कहने पर धर्म की रक्षा के लिये अपना-अपना सिर कटवाने के उनके जो पांच साथी तैयार हुए उन्हें सिखों के इतिहास में पंच प्यारे कहा जाता है।

गुरु गोबिंद सिंह जी ने इन्हें अमृत पिलाया था। जिनमे भाई दया सिंह, भाई धरम सिंह,भाई मोहकम सिंह, भाई सहीब सिंह, भाई हिम्मत सिंह। वे सभी गुरु गोबिंद सिंह जी के विश्वासपूर्वक भक्त थे और उन्होंने खालसा समुदाय की उत्थान के लिए अपना सब कुछ बलिदान किया।
खालसा पंथ की स्थापना के साथ ही श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने पंज प्यारो के लिए एक मर्यादित यूनिफ़ार्म यानि ड्रेस भी बताई जिसे खालसा की पहचान के रूप में जाना जाता है,जिसे पंच ककार यानि शरीर को शुशोभित करने वाली पोशाख जिसमें 1.केश रखना यानि आजीवन बाल नहीं कटवाने। 2.कंगा यानि कंगी [कोम्ब] बालों को संभालने व स्वारने के लिए। 3.कछहरा यानि अंडर गरमेन्ट जो पूरी तरह से सूती कपड़े का नाड़े वाला हाफ पैंट जैसा खुला व ढीला-ढाला हो जिसे गुप्तांगो को ढका जा सके। 


4. किरपान या तलवार जिसे मुसीबत के समय अपनी रक्षा के साथ दूसरों की जान बचाने के लिए प्रयोग में लाया जा सके। 5.कड़ा लोहा का वो गोल आकार वाला छलला जिसे खालसा या सिख व्यक्ति हाथों में धारण करते है जिसे सिख होने का प्रतीक भी माना है। इस प्रकार गुरूओ ने अपने खालसे और सिख को एक मर्यादित यूनिफ़ार्म यानि ड्रेस प्रदान की जिसका अमृत धारी सिख पूरा पालन करते है।      
 

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