Sunday, June 30, 2019

कब फायदे मंद और कब नुकसान दायक है नारियल पानी पीना....?


नारियल पानी सेहत के काफी अच्छा होता है और इसके बहुत से फायदे भी होते हैं,लेकिन क्या आप जानते हैं कि नारियल पानी पीने के बहुत से नुकसान भी होते हैं। अगर आप नहीं जानते तो आज अपने इस लेख में हम आपको नारियल पानी से होने वाले नुकसानों के बारे में आपको बताने वाले हैं। साथ ही आपको यह भी बताएंगे कि आप कब नारियल पानी पीना चाहिए और कब नहीं। मुख्य रूप से लोग गर्मियों के मौसम में खुद को तरोताजा रखने के लिए नारियल पानी पीना काफी पसंद करते हैं। आपको बता दें, नारियल के पानी में विटामिन, कैल्शियम, फाइबर, मैग्नीशियम और खनिज पदार्थ जैसे पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं और नारियल में वसा की मात्रा बिल्कुल न के बराबर होती है। 
साथ ही इसमें कॉलेस्ट्रोल भी नहीं होता इसलिए हृदय रोगियों और मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए नारियल किसी वरदान से कम नहीं है। नारियल पानी पीने से शरीर में पानी की कमी दूर होती है। एक नारियल में लगभग 200 से 250 मिलिलीटर पानी होता है,लेकिन जिन लोगों को सोडियम और पोटेशियम संबंधित कोई समस्या होती है उन्हें नारियल पानी का संभलकर सेवन करना चाहिए क्योंकि इससे उनके शरीर को नुकसान हो सकता है। अगर आप आफ्टर वर्कआउट खुद को एनर्जी देने के लिए नारियल पानी पीना पसंद करते हैं तो बेहतर होगा कि आप इसकी जगह सादा पानी पीएं क्योंकि नारियल के पानी में सोडियम की मात्रा सादे पानी के मुकाबले काफी अधिक होती है और सोडियम की मात्रा काफी अधिक होती है और सोडियम की मात्रा अधिक होने से आपको अधिक प्यास लगेगी। 
नारियल पानी में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम होती है,लेकिन इसमें पोटेशियम के गुण दस गुना अधिक होते हैं। इस वजह से अगर आपको कमजोरी या अधिक थकान रहती है तो ऐसी स्थिति में आपको नारियल पानी का सेवन नहीं करना चाहिए। नारियल पानी से आपके शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का संतुलन बिगड़ जाता है आपको अधिक कमजोरी महसूस होने लगती है। गर्मियों में कई लोग ऊर्जा की आपूर्ति के लिए नारियल पानी पीने की सलाह देते हैं। हालांकि, इस दौरान ध्यान रखें कि नारियल पानी से शरीर में कैलोरी की मात्रा बढ़ती है। इसके 300 मिली में 60 कैलोरी होती हैं इसलिए इसका अधिक सेवन न करें।
नारियल पानी मीठा होता है और इसलिए इसमें कार्बोहाइड्रेट्स और कैलोरी की अधिक मात्रा होती है। नारियल पानी का अधिक सेवन करने से ब्लड शुगर का स्तर बढ़ा सकता है। जिनके रक्त में शुगर का स्तर पहले से ही ज्यादा है उन्हें इसका सेवन नहीं करना चाहिए। लो ब्लड प्रेशर वालों को भी नारियल पानी का नहीं करना चाहिए अधिक सेवन साथ ही नारियल पानी का सेवन करने से आपका ब्लड प्रेशर भी कम हो सकता है।  इसलिए जिन्हें ब्लड प्रेशर की समस्या है उन्हें भी इसका अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक उम्र के लोगों को मुख्य रूप से जोड़ो में दर्द की शिकायत रहती है और क्योंकि नारियल पानी की तासीर ठंडी होती है। इसलिए उन्हें भी इसके सेवन से बचना चाहिए। जिन लोगों की मांसपेशियां कमजोर हैं, उन्हें भी इसके सेवन से बचना चाहिए क्योंकि आगे चलकर उन्हें जोड़ों में दर्द की समस्या हो सकती है।

Thursday, June 27, 2019

भगवान विष्णु के अवतार बृहस्पति को पीला रंग क्यू अति प्रिय जाने महत्व....?


शास्‍त्रों के अनुसार भगवान बृहस्पति जो विष्णु का अवतार हैं इन्हें पीला रंग बहुत प्रिय है। भगवान विष्णु धन-धान्य एक देवता है और पीला रंग संपन्‍नता का प्रतीक है,यही वजह है कि पीला रंग इस दिन को समर्पित किया गया है। भगवान विष्णु की पूजा के लिए गुरुवार का दिन बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा और कथा भी सुनी जाती है। इसी दिन साईं बाबा की भी पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा थाली में पीले रंग के फूल, प्रसाद और हल्दी बहुत शुभ माने गए हैं। हल्दी का तिलक, चने और गुड़ का भोग और पीले रंग के फूल से भगवान जल्द प्रसन्न होते हैं और मनचाहा वरदान देते हैं। 
भगवान विष्‍णु को पीला रंग बहुत प्रिय है इसलिए इस दिन पीले वस्‍त्र धारण करने चाहिए और पीली वस्‍तुओं का दान करना चाहिए है। गुरुवार की पूजा विधि-विधान के अनुसार की जानी चाहिए और बृहस्पति देव के पूजन में पीले फूल, चने की दान, पीली मिठाई, पीले चावल आदि का उपयोग करना शुभ रहता है। आज के दिन केले के पेड़ का पूजन करना चाहिए और संभव हो तो इसके पास बैठकर ही बृहस्पति देव का पूजन और कथा पाठ करना चाहिए।  वहीं दूसरी तरफ आज कुछ चीजों को करने से परहेज करना भी बहुत जरूरी है। भगवान बृहस्पति देव की पूजा मात्र से आपके घर में गुरु का वास होता है।
आज के दिन मन से सभी बुरे विचार त्याग कर भगवान के चरणों में अपने जीवन को अर्पण करना चाहिए। आज के दिन घर में पोछा नहीं लगना चाहिए और न ही कपड़े धोने या प्रेस करने को चाहिए। आज के दिन किसी को पैसे नहीं देने चाहिए। जो लोग गुरुवार का व्रत करें उन्‍हें नमक ग्रहण नहीं करना चाहिए और पीला भोजन करना चाहिए।


Tuesday, June 25, 2019

वास्तव में सुखी कौन…..?


एक भिखारी किसी किसान के घर भीख माँगने गया। किसान की स्त्री घर में थी, उसने चने की रोटी बना रखी थी। किसान जब घर आया, उसने अपने बच्चों का मुख चूमा, स्त्री ने उनके हाथ पैर धुलाये, उसके बाद वह रोटी खाने बैठ गया। स्त्री ने एक मुट्ठी चना भिखारी को डाल दिया, भिखारी चना लेकर चल दिया। रास्ते में भिखारी सोचने लगा:- हमारा भी कोई जीवन है? दिन भर कुत्ते की तरह माँगते फिरते हैं। फिर स्वयं बनाना पड़ता है। इस किसान को देखो कैसा सुन्दर घर है। घर में स्त्री हैं, बच्चे हैं, अपने आप अन्न पैदा करता है। बच्चों के साथ प्रेम से भोजन करता है। वास्तव में सुखी तो यह किसान है। इधर वह किसान रोटी खाते-खाते अपनी स्त्री से कहने लगा:- नीला बैल बहुत बुड्ढा हो गया है, अब वह किसी तरह काम नहीं देता, यदि कही से कुछ रुपयों का इन्तजाम हो जाये, तो इस साल का काम चले। साधोराम महाजन के पास जाऊँगा, वह ब्याज पर दे देगा।
भोजन करके वह साधोराम महाजन के पास गया। बहुत देर चिरौरी बिनती करने पर 1रु. सैकड़ा सूद पर साधों ने रुपये देना स्वीकार किया। एक लोहे की तिजोरी में से साधोराम ने एक थैली निकाली और गिनकर रुपये किसान को दे दिये। रुपये लेकर किसान अपने घर को चला, वह रास्ते में सोचने लगा- हम भी कोई आदमी हैं, घर में 5 रु. भी नकद नहीं। कितनी चिरौरी विनती करने पर उसने रुपये दिये है। साधो कितना धनी है, उस पर सैकड़ों रुपये है वास्तव में सुखी तो यह साधो राम ही है। साधोराम छोटी सी दुकान करता था, वह एक बड़ी दुकान से कपड़े ले आता था और उसे बेचता था। दूसरे दिन साधोराम कपड़े लेने गया, वहाँ सेठ पृथ्वीचन्द की दुकान से कपड़ा लिया। वह वहाँ बैठा ही था, कि इतनी देर में कई तार आए कोई बम्बई का था। कोई कलकत्ते का, किसी में लिखा था 5 लाख मुनाफा हुआ, किसी में एक लाख का। साधो महाजन यह सब देखता रहा, कपड़ा लेकर वह चला आया। रास्ते में सोचने लगा हम भी कोई आदमी हैं, सौ दो सौ जुड़ गये महाजन कहलाने लगे। पृथ्वीचन्द कैसे हैं, एक दिन में लाखों का फायदा वास्तव में सुखी तो यह है। उधर पृथ्वीचन्द बैठा ही था, कि इतने ही में तार आया कि 5 लाख का घाटा हुआ। 
वह बड़ी चिन्ता में था, कि नौकर ने कहा:- आज लाट साहब की रायबहादुर सेठ के यहाँ दावत है। आपको जाना है, मोटर तैयार है। पृथ्वीचन्द मोटर पर चढ़ कर रायबहादुर की कोठी पर चला गया। वहाँ सोने चाँदी की कुर्सियाँ पड़ी थी, रायबहादुर जी से कलक्टर-कमिश्नर हाथ मिला रहे थे। बड़े-बड़े सेठ खड़े थे। वहाँ पृथ्वी चन्द सेठ को कौन पूछता, वे भी एक कुर्सी पर जाकर बैठ गया। लाट साहब आये, राय बहादुर से हाथ मिलाया, उनके साथ चाय पी और चले गये। पृथ्वी चन्द अपनी मोटर में लौट रहें थे, रास्ते में सोचते आते है, हम भी कोई सेठ है 5 लाख के घाटे से ही घबड़ा गये। राय बहादुर का कैसा ठाठ है, लाट साहब उनसे हाथ मिलाते हैं। वास्तव में सुखी तो ये ही है। अब इधर लाट साहब के चले जाने पर रायबहदुर के सिर में दर्द हो गया, बड़े-बड़े डॉक्टर आये एक कमरे वे पड़े थे। कई तार घाटे के एक साथ आ गये थे। उनकी भी चिन्ता थी, कारोबार की भी बात याद आ गई।
वे चिन्ता में पड़े थे, तभी खिड़की से उन्होंने झाँक कर नीचे देखा, एक भिखारी हाथ में एक डंडा लिये अपनी मस्ती में जा रहा था। राय बहदुर ने उसे देखा और बोले:- वास्तव में तो सुखी यही है, इसे न तो घाटे की चिन्ता न मुनाफे की फिक्र, इसे लाट साहब को पार्टी भी नहीं देनी पड़ती सुखी तो यही है। इस कहानी से हमें यह पता चलता है, कि हम एक दूसरे को सुखी समझते हैं पर वास्तव में सुखी कौन है, इसे तो वही जानता है। जिसे आन्तरिक शान्ति है। जिसे अंतरिक्ष सुकून है। आप चाहे भिखारी हो, चाहे करोड़पति हो लेकिन आप के मन में जब तक शांति नहीं है तब तक आपको सुकून नहीं मिल सकता। मित्र गोबिन्द सिंग वाधवा [रायपुर,छतीसगढ़ ]

सत्संग का असर...


एक सेठ जी किसी के कहने पर सतसंग गये, सतसंग गेट पर सेवादार ने कहा आईये, हाल के अन्दर सेवादार ने कहा बैठिये, सत्संग समाप्त हुआ तो सेवादार ने कहा जाईये। रास्ते मे उनके मैनेजर ने पूछा कि सत्संग मे आनन्द आया तो बोले कि कैसा आनन्द, मैने तो सिर्फ 3 शब्द सुने आईये, बैठिये, जाईये क्योकि वहॉ मैं सो गया था। पहली बार सत्संग जाने का असर ये हुआ कि 3 शब्द रात मे सोते समय भी मुँह से निकले, एक चोर उनके कमरे मे चोरी करने घुसा, सेठ बोले आईये, चोर डर गया, फिर सेठ बोले बैठिये, चोर डर के मारे बैठ गया, फिर सेठ बोले जाईये, जान बचाकर चोर भाग गया। सुबह चोर माफी मॉगने आया तो सेठ ने कहा कि हमे कुछ पता नही, ये 3 शब्द सत्संग मे सुने जो सोते समय मुह से निकले जिसके कारण मेरा सामान बच गया अगर जाग कर पूरे सत्संग का आनन्द लेता तो बहुत कुछ मिल सकता है और सेठ प्रतिदिन सत्संग जाने लगा। 
सत्संग जाने पर कुछ न कुछ जरूर मिलता है, हम क्या लाते हैं हमारे ऊपर निर्भर है। मित्र गोबिन्द सिंग वावा [रायपुर,छतीसगढ़ ]

Monday, June 24, 2019

हिंदी का थोडा़ आनंद लीजिये....मुस्कुरायें...


हिंदी के मुहावरे, बड़े ही बावरे है,खाने पीने की चीजों से भरे है...कहीं पर फल है तो कहीं आटा-दालें है,कहीं पर मिठाई है, कहीं पर मसाले है,चलो, फलों से ही शुरू कर लेते है,एक एक कर सबके मजे लेते हैं...आम के आम और गुठलियों के भी दाम मिलते हैं,कभी अंगूर खट्टे हैं,कभी खरबूजे, खरबूजे को देख कर रंग बदलते हैं,कहीं दाल में काला है,तो कहीं किसी की दाल ही नहीं गलती है,कोई डेड़ चावल की खिचड़ी पकाता है,तो कोई लोहे के चने चबाता है,कोई घर बैठा रोटियां तोड़ता है,कोई दाल भात में मूसलचंद बन जाता है, मुफलिसी में जब आटा गीला होता है,तो आटे दाल का भाव मालूम पड़ जाता है,सफलता के लिए कई पापड़ बेलने पड़ते हैं,
आटे में नमक तो चल जाता है,पर गेंहू के साथ, घुन भी पिस जाता है,अपना हाल तो बेहाल है, ये मुंह और मसूर की दाल है,गुड़ खाते हैं और गुलगुले से परहेज करते हैं,और कभी गुड़ का गोबर कर बैठते हैं,कभी तिल का ताड़, कभी राई का पहाड़ बनता है,कभी ऊँट के मुंह में जीरा है,कभी कोई जले पर नमक छिड़कता है,किसी के दांत दूध के हैं,तो कई दूध के धुले हैं,कोई जामुन के रंग सी चमड़ी पा के रोती है,तो किसी की चमड़ी जैसे मैदे की लोई है,किसी को छटी का दूध याद आ जाता है,दूध का जला छाछ को भी फूंक फूंक पीता है,और दूध का दूध और पानी का पानी हो जाता है,शादी बूरे के लड्डू हैं, जिसने खाए वो भी पछताए,और जिसने नहीं खाए
वो भी पछताते हैं,पर शादी की बात सुन, मन में लड्डू फूटते हैं,और शादी के बाद, दोनों हाथों में लड्डू आते हैं,कोई जलेबी की तरह सीधा है, कोई टेढ़ी खीर है,किसी के मुंह में घी शक्कर है, सबकी अपनी अपनी तकदीर है...कभी कोई चाय-पानी करवाता है,कोई मख्खन लगाता हैऔर जब छप्पर फाड़ कर कुछ मिलता है,तो सभी के मुंह में पानी आ जाता है,भाई साहब अब कुछ भी हो,घी तो खिचड़ी में ही जाता है, जितने मुंह है, उतनी बातें हैं,सब अपनी-अपनी बीन बजाते हैं, पर नक्कारखाने में तूती की आवाज कौन 
सुनता है, सभी बहरे हैं, बावरें है ये सब हिंदी के मुहावरें हैं...ये गज़ब मुहावरे नहीं बुजुर्गों के अनुभवों की खान हैं...सच पूछो तो हिन्दी भाषा की जान हैं। मित्र मानसी जी गंगवानी [नागपुर]

पुराने जमाने की तरफ बड़ते कदम....


मिट्टी के बर्तनों से स्टील और प्लास्टिक के बर्तनों तक और फिर कैंसर के खौफ से दोबारा मिट्टी के बर्तनों तक आ जाना,अंगूठा छापी से पढ़ लिखकर दस्तखतों (Signatures) पर और फिर आखिरकार अंगूठा छापी (Thumb Scanning) पर आ जाना,फटे हुए सादे कपड़ों से साफ सुथरे और प्रेस किए कपड़ों पर और फिर फैशन के नाम पर अपनी पैंटें फाड़ लेना,ज़्यादा मशक़्क़त वाली ज़िंदगी से घबरा कर पढ़ना लिखना और फिर P H D करके वॉकिंग ट्रेक (Walking Track) पर पसीने बहाना,क़ुदरती गिज़ा से प्रोसेसशुदा खानों (Canned Food) पर और फिर बीमारियों से बचने के लिए दोबारा क़ुदरती खानों (Organic Foods) पर आ जाना,
पुरानी और सादी चीज़ें इस्तेमाल करके ना पायदार ब्रांडेड (Branded) आइटम्ज़ पर और आखिरकार जी भर जाने पर फिर (Antiques) पर उतरना,बच्चों को इंफेक्शन से डराकर मिट्टी में खेलने से रोकना और फिर घर में बंद करके फिसड्डी बनाना और होश आने पर दोबारा Immunity बढ़ाने के नाम पर मिट्टी से खिलाना....इसकी अगर जाँच पड़ताल करें तो ये निष्कर्ष निकलता है कि टेक्नॉलॉजी ने तुम्हे जो दिया उससे बेहतर तो भगवान ने तुम्हे पहले से दे रखा है...मित्र अनुज कुमार जी आर्य

Friday, June 21, 2019

जीन्स को कॉटन के नए कपड़े में बदला जा सकता है..वैज्ञानिकों ने खोजा तरीका


आपकी जीन्स फट जाती है तो आप उसका क्या करते हैं, शायद फेंक देते होंगे या फिर किसी दूसरे काम में यूज कर लेते होंगे। अभी तक ज्यादातर लोग इसे किसी दूसरे काम में ही यूज कर लेते हैं,लेकिन वैज्ञानिकों ने एक ऐसा तरीका निकाला है जिससे बेकार हो चुकी डेनिम जीन्स को कॉटन के नए कपड़े में बदला जा सकता है। वो भी बहुत सस्ते में कपड़ों के कचरे में सबसे ज्यादा डेनिम जैसे कपड़े ही होते हैं। इस तरह के कचरे से जमीन की उवर्रक क्षमता प्रभावित होती है। 
कपड़ों को रिसाइकल करने के लिए पहले भी कई प्रक्रियाओं का दावा किया जा चुका है, लेकिन ये सभी महंगी और कारगर साबित नहीं हुई  लेकिन अब जो तकनीक वैज्ञानिकों ने खोजी है, उससे दोनों ही समस्याओं से राहत मिलने की उम्मीद है। ऑस्ट्रेलिया की डेकिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने खराब हो चुकी डेनिम से विस्कस प्रकार के रेयॉन तैयार किए। पहले शोधकर्ताओं ने सूती कपड़ों को घोलने के लिए आयनिकृत द्रव का इस्तेमाल किया,लेकिन यह प्रक्रिया काफी महंगी होती है और इसके चिपचिपेपन के कारण इन पर काम करना भी काफी मुश्किल होता है। 
इस बार शोधकर्ताओं ने इस सॉल्वेंट की कीमत को 70 प्रतिशत तक कम करने में सफलता हासिल की। वैज्ञानिकां ने तीन तरह के कपड़ों का चूरा बनाया और उसे आयनी द्रव 1 बुटाइल 3 मिथाइलीमिडजोलियम एसिटेट और डाइमिथाइल सल्फोक्साइड (डीएमएसओ) के एक चौथाई मिश्रण में घोला। इस मिश्रण से शोधकर्ताओं को आयनी द्रव की कम मात्रा प्रयोग करनी पड़ी साथ ही इसने इस द्रव के चिपचिपेपन को भी घटाया।  इस तरह डेनिम से कॉटन में बदलने वाले कपड़ा पहले से काफी सस्ता हो गया। 

कुपोषण के शिकार महिलाएं और बच्चे के लिए सरकार ने आवंटित किए 9046 करोड़ रुपये...


केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने प्रश्नकाल में कहा कि सरकार ने 18 दिसंबर 2017 में पोषण अभियान शुरू किया था जो तीन साल की अवधि के लिए प्रारंभ किया गया। इसके लिए कुल 9046 करोड़ रुपये का बजट रखा गया। उन्होंने कहा इसके तहत सभी 36 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों और जिलों को रखा गया है।
पोषण अभियान का उद्देश्य छह साल तक की उम्र के बच्चों, किशोरियों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के पोषण स्तर में निर्धारित लक्ष्यों के साथ तीन साल की अवधि में समयबद्ध तरीके से सुधार करना है। सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा में कहा कि बच्चों, गर्भवती महिलाओं और किशोरियों के कुपोषण के मुद्दे पर ध्यान देने के लिए 9000 करोड़ रुपये से ज्यादा चिह्नित किये गये हैं।


Wednesday, June 19, 2019

फोनेटिक कीबोर्ड जो करेगा दस भारतीय भाषाओ में काम....


सॉफ्टवेयर कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोज 10 के हालिया अपडेट के साथ 10 भारतीय भाषाओं के लिए स्मार्ट फोनेटिक कीबोर्ड लांच किया। कंपनी ने एक बयान में कहा कि यह फोनेटिक कीबोर्ड हिंदी, बांग्ला, तमिल, मराठी समेत दस भारतीय भाषाओं में है। कीबोर्ड में यूजर कस्टमाइज्ड इंडीक हार्डवेयर कीबोर्ड या स्टीकर खरीदे बिना अपनी पसंद की भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं। 
कंपनी ने कहा कि नए टूल्स से न सिर्फ संगणना करने में मदद मिलेगी बल्कि इससे भारतीय भाषाओं में टंकन की गति और शुद्धता में सुधार लाने में मदद मिलेगी।  इसमें भारतीय अंक जैसे क्षेत्रीय प्रतीक बनाना भी आसान होगा। विंडोज 10 अपडेट के साथ अपडेटेड कीबोर्ड स्वत: उपलब्घ कराया गया है।

कृषि [किसानो की आमदनी] आय बढ़ाने में गोमूत्र और गाय के गोबर की होगी मुख्य भूमिका..


उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग ने बाकायदा लिखित में यह बात कही है कि गोमूत्र कैसे खेती-किसानी में काम आएगा। किसान घर बैठे कैसे इसका कीटनाशक बनाकर कंपनियों पर अपनी निर्भरता कम कर सकते हैं। इससे किसानों को कीटनाशक पर खर्च घटेगा और उनकी आमदनी बढ़ेगी। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि पौधे की बढ़त यदि रासायनिक खाद से ही संभव होता तो सारे जंगल सूख गए होते,लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ। इसका मतलब साफ है कि मिट्टी में पौधों के लिए जरूरी तत्व पहले से ही मौजूद हैं।  इन्हें गाय के गोबर और गोमूत्र से एक्टिव किया जा सकता है। 

गोमूत्र, गोमूत्र कीटनाशक, आर्गेनिक फार्मिंग, जैविक खेती, किसान, गाय,आईआईटी में गोमूत्र पर रिसर्च के प्रस्ताव,आरएसएस, कृषि,गोमूत्र के लाभ गोमूत्र बड़े बहस का मुद्दा है। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग के मुताबिक गोमूत्र और गोबर सस्ती एवं सर्वश्रेष्ठ खाद है। यह जमीन की उपजाऊ शक्ति को बनाए रखती है। गोबर एवं गोमूत्र की खाद से पैदा होने वाली सब्जियां और फसल रासायनिक खाद के मुकाबले स्वास्थ्य वर्धक होती हैं। इसका इस्तेमाल करके आप कीटनाशक के जहर से बच जाते हैं। विभाग दावा करता है कि कृषि वैज्ञानिक इस बात पर एकमत हैं कि रासायनिक खादों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से नष्ट हुई जमीन की उपजाऊ शक्ति का एकमात्र विकल्प गोबर और गोमूत्र की खाद है। 
कृषि विभाग के मुताबिक भारतीय नस्ल की देसी गाय के एक लीटर गोमूत्र को एकत्रित कर 40 लीटर पानी में घोलकर यदि दलहन, तिलहन और सब्जी आदि के बीज को 4 से 6 घंटे भिगो कर खेत में बुवाई की जाती है तो बीज का अंकुरण अच्छा, जोरदार एवं रोग रहित होता है। बीज जल्दी जमता है। इसके इस्तेमाल से जमीन के लाभकारी जीवाणु बढ़ते हैं। जो खराब जमीन है वो ठीक हो जाती है. सिंचाई के लिए कम पानी की जरूरत पड़ती है। क्योंकि जमीन की बारिश का पानी सोखने और रोकने की क्षमता बढ़ जाती है। गोमूत्र कीटनाशक से फसल हरी-भरी हो जाती है और रोगों का प्रकोप कम होता है। किसान अपने घर पर ही ऐसे बना सकते हैं कीटनाशक:- गोमूत्र एवं तंबाकू की सहायता से भी कीटनाशक तैयार किया जाता है। 
इसके लिए 10 लीटर गोमूत्र में एक किलो तंबाकू की सूखी पत्तियों को डालकर उसमें 250 ग्राम नीला थोथा घोलकर 20 दिन तक बंद डिब्बे में रख देते हैं। फिर इसके एक लीटर में 100 लीटर पानी मिलाकर घोल का छिड़काव करने से फसल का बालदार सूंडी से बचाव हो जाता है। इसका छिड़काव दोपहर में करना चाहिए। यह विधि भी अपना सकते हैं किसान:- कृषि अधिकारियों के मुताबिक गोमूत्र और लहसुन की गंध के साथ कीटनाशक बनाकर रस चूसने वाले कीटों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके लिए 10 लीटर गोमूत्र में 500 ग्राम लहसुन कूटकर उसमें 50 मिलीलीटर मिट्टी का तेल मिला देते हैं। मिट्टी के तेल और लहसुन के पेस्ट को गोमूत्र में डालकर 24 घंटे वैसे ही पड़ा रहने देते हैं।
फिर इसमें 100 ग्राम साबुन अच्छी तरह मिलाकर और हिलाकर महीन कपड़े से छान लेते हैं। एक लीटर इस दवा को 80 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव से फसल को चूसक कीटों सुरक्षित रखा जा सकता है। गोमूत्र और नीम की पत्तियों से भी कीटनाशक बनता है और वह फसल को कई प्रकार के रोगों से बचाने में काम आता है। बूढ़ी गाय का मूत्र ज्यादा लाभदायक होता है। सिक्किम में किसान इसका इस्तेमाल करने लगे हैं। आईआईटी को मिले हैं रिसर्च के प्रस्ताव:- आईआईटी दिल्ली को पंचगव्य यानी गाय के गोबर, मूत्र, दूध, दही और घी के लाभों पर रिसर्च करने के लिए विभिन्न अकैडमिक और रिसर्च संस्थानों से 50 से ज्यादा प्रस्ताव मिले हैं। सरकार ने 19 सदस्यों की एक कमेटी भी बनाई है जो गोमूत्र से लेकर गोबर और गाय से मिलने वाले हर पदार्थ पर रिसर्च करेगी। इसमें आरएसएस और वीएचपी के तीन सदस्य भी शामिल हैं।

Monday, June 17, 2019

जाने संसद भवन के अनजाने रहसय..लोकसभा में ग्रीन और राज्यसभा में रेड कारपेट का राज...?

लोकसभा में हरे और राज्यसभा में लाल रंग का कारपेट होता है,लेकिन क्या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्यों है? दिल्ली स्थित संसद की इमारत गोलाकार है, लेकिन इसके अंदर लोकसभा और राज्यसभा के कक्षों का आकार क्या है? आइए, जानें संसद भवन के भीतर की कुछ दिलचस्प बातें:- ब्रिटिश राज के समय में जब इस भवन के विचार का सूत्रपात हुआ था, तब इसका नाम काउंसिल हाउस सुझाया गया था। इसके भीतर तीन प्रमुख भवनों या कक्षों का विचार किया गया था। पहला राज्यों की परिषद जिसे बाद में राज्यसभा कहा गया, दूसरा वैधानिक सभा जिसे बाद में लोकसभा के तौर पर पहचाना गया और तीसरा था राजकुमारों का सदन, जो अब संसद भवन के पुस्तकालय का रूप ले चुका है।
यह भी दिलचस्प है कि लाखों किताबों से भरी यह लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। लोकसभा और राज्यसभा के अंदरूनी ढांचे में क्या फर्क हैं? और इन अंतरों के पीछे क्या कारण रहे हैं? इस संक्षिप्त लेख में इन तमाम बातों पर गौर करते हैं। एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर के डिज़ाइन पर बने संसद भवन का उद्घाटन 1927 में किया गया था। 6 एकड़ में फैले इस भवन को गोलाकार बनाया गया था और इसके डिज़ाइन का मुख्य स्रोत या प्रेरणा मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर की वास्तुकला थी। क्यों होते हैं अलग-अलग कारपेट...? गोल इमारत यानी संसद भवन के अंदर लोकसभा और राज्यसभा दो सदन सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं। लोकसभा में ग्रीन कारपेट बिछाया जाता है और राज्य सभा में रेड कारपेट। 
ऐसा किसी संयोगवश नहीं, बल्कि सोच विचारकर किया जाता है। चूंकि लोकसभा भारत की जनता का सीधे प्रतिनिधित्व करती है, इसलिए इन प्रतिनिधियों के ज़मीन से जुड़े होने के प्रतीक के तौर पर हरे रंग का इस्तेमाल होता है। घास या बड़े स्तर पर कृषि का प्रतीक हरे रंग को माना जाता है। दूसरी ओर, राज्यसभा संसद का उच्च सदन कहलाता है। इसमें प्रतिनिधि सीधे चुनाव के ज़रिये नहीं बल्कि राज्यों के जन प्रतिनिधियों के आंकड़ों के हिसाब से पहुंचते हैं। राज्य सभा में रेड कारपेट बिछाने के पीछे दो विचार रहे हैं। एक लाल रंग राजसी गौरव का प्रतीक रहा है और दूसरा लाल रंग को स्वाधीनता संग्राम में शहीदों के बलिदान का प्रतीक भी समझा गया है। इस विचार के चलते राज्य सभा में रेड कारपेट बिछाया जाता है। सेंट्रल हॉल, लाइब्रेरी, म्यूज़ियम और कैंटीन:- लोकसभा में 545 सदस्यों के हिसाब से बैठने की व्यवस्था होती है, जबकि राज्यसभा में 245,लेकिन जब दोनों सदनों का संयुक्त सत्र होता है, तब संसद भवन के सेंट्रल हॉल में बैठक की व्यवस्था की जाती है। 
दोनों सदनों के बारे में एक रोचक जानकारी यह भी है कि अगर एरियल व्यू देखा जाए, तो लोकसभा और राज्यसभा के कक्षों का आकार अर्धगोलाकार जैसा है यानी घोड़े की नाल जैसा। अब बात करते हैं लाइब्रेरी की। संसद भवन की लाइब्रेरी पहले संसद भवन परिसर में ही स्थित थी, लेकिन लगातार किताबों की संख्या बढ़ने के कारण संसद भवन से सटा एक अलग भवन इस लाइब्रेरी के लिए बनाया गया। यह लाइब्रेरी देश की दूसरी सबसे बड़ी लाइब्रेरी है। बलभद्र स्टेट, कोलकाता स्थित नेशनल लाइब्रेरी देश में सबसे बड़ी है, जहां 22 लाख से ज़्यादा किताबों का संग्रह है। इसके साथ ही, संसद भवन की लाइब्रेरी परिसर में देश की सांस्कृतिक विरासत की झांकी दिखाने वाला एक म्यूज़ियम भी है। संसद भवन की कैंटीन भी कई बार सुर्खियों में रही है क्योंकि यहां बेहद कम दामों में भोजन की व्यवस्था है। 3 कोर्स भोजन यहां सिर्फ 61 रुपये में उपलब्ध होता है। 

नदी सफाई अभियानाचे कार्य प्रगतीपथावर

नागपूर: -   नागपूर महानगरपालिका आयुक्त तथा प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी यांच्या मार्गदर्शनात आणि अतिरिक्त आयुक्त श्रीमती आंचल गोयल यांच्या नेतृत...