ऑटोरिक्शा में एक इलेक्ट्रॉनिक सॉकेट छिपाकर एक
सीक्रेट बटन इंस्टाल किया जाता है जो सीधे ऑटो के मीटर से जुड़ा होता है। इस बटन के
ज़रिये ऑटो का मीटर आम स्पीड के बजाय घोड़े की रफ़्तार से दौड़ने लगता है इसलिए इसे
घोडा मीटर कहा जाता है। ऑटो में इंसटाल किये ज्यादा मुनाफा देने वाले ऐसे सीक्रेट
बटन को GST
बटन कहा जाता है। मीटर को तेज़ करनेवाला ये बटन
अधिकतर, ऑटो स्टेयरिंग पर एक्सेलरेटर के पास छिपा होता है हालाँकि अलग
अलग ऑटो में इस बटन की सीक्रेट लोकेशन अलग-अलग हो सकती है। इस बटन से मीटर इतना
तेज़ हो सकता है कि बटन को मात्र 60 सेकंड के लिए ऑन रखने पर मीटर
की रीडिंग 45 से 50 रुपये तक पहुँच सकती है, जी हाँ, सिर्फ 1 मिनट में 50 रुपये की रफ़्तार से मीटर दौड़
सकता है।
हालांकि यात्रियों को मीटर को लेकर कोई शक न हो इसलिए ऑटो ड्राइवर इस बटन
को कंटिन्यू ऑन नहीं रखते बल्कि वे इसे बीच-बीच में सिर्फ तब ऑन करते हैं जब पीछे
बैठे पैसेंजर का उन पर या मीटर पर ध्यान नहीं होता याने अगर आप ऑटो में बैठकर सुकून से मोबाइल पर किसी से बात कर रहे
हैं, गेम खेल रहे हैं या कोई काम कर रहे हैं, या आप कोई किताब पढ़ने में व्यस्त हों या थकान मिटने के लिए नींद
की झपकी ले रहे हों जिसे आप पावर-नैप भी कहते हैं तभी ये ऑटो ड्राइवर इस सीक्रेट
बटन को ऑन करते हैं। इस वक्त एक तरफ आप जहाँ व्यस्त हैं तभी मीटर रीडिंग चालाकी से
बढ़ा दी जाती है।
अगर आप किसी नए या अनजान रूट पर सफर कर रहे हैं तो आपके साथ ठगी
की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा बढ़ जाती है क्यूंकि आपको इस बात का अंदाज़ा नहीं होता
कि इस नए या अनजान रुट पर आपके गंतव्य तक जाने का आमतौर पर किराया कितना होता है। उदहारण
के लिए अगर A
पॉइंट से B पॉइंट
तक जाने का आम तौर पर किराया 100 रुपये है,लेकिन आपको इसकी जानकारी नहीं है ऐसे में ऑटो ड्राइवर ने इस
चालाकी से आपसे 100 के बजाय 150 रुपये
वसूल लिए तो आपको पता भी नहीं चलेगा कि कैसे आपको ठगा जा चूका है। इसी वजह से
रेलवे स्टेशन,
बस अड्डों और एयरपोर्ट्स पर अलग अलग शहरों से
आनेवाले यात्रियों को शिकार बनाना इनके लिए ज्यादा आसान होता है। आखिर ये GST बटन' या घोडा मीटर क्या है और कैसे काम करता है।
इस ठगी से कैसे बचें:-आपके ऑटो का मीटर कितना होगा इसे पता लगाने का
गणित ज्यादा कठिन नहीं है. यह जानने के लिए आपको सिर्फ दो चीजें पता होना बेहद
जरूरी है पहला ऑटो का रेट कार्ड और दूसरा आपके करंट लोकेशन से आपके गंतव्य स्थान
यानी डेस्टिनेशन तक की दूरी (किलोमीटर में) सरकार द्वारा तय किए गए रेट के मुताबिक
ऑटो रिक्शा का न्यूनतम किराया है पहले 1.5 किलोमीटर के लिए ₹18 या नहीं अगर आप ऑटो पर बैठकर भले ही 500 मीटर की दूरी तय
करें या डेढ़ किलोमीटर तक जाएं आपको कम से कम ₹18 चुकाने तो पड़ेंगे ही जबकि शुरुआती डेढ़ किलोमीटर के बाद
आपको प्रति किलोमीटर 12 रुपए 18 पैसे चुकाने पड़ेंगे। इसके अलावा डेस्टिनेशन तक की
दूरी पता करने के लिए आप मैप या जीपीएस मोबाइल एप्लीकेशन की भी मदद ले सकते हैं। आइए
अब आपको एक उदाहरण की मदद से यह गणित समझाते हैं।
अगर आपको मान लीजिए 8 किलोमीटर
की दूरी ऑटो से तय करनी है तो शुरुआती डेढ़ किलोमीटर के लिए आपको ₹18 चुकाने हैं जबकि बाकी 6.5 किलोमीटर के लिए आपको 12 रुपए 18
पैसे की दर से चुकाने हैं तकरीबन 79 रुपए, यानी
कुल मिलाकर 97 रुपए। न्यूनतम किराया = 18 रु. 6.5×12.18=
79रु. 18+79 = 97 रु. हालांकि ट्रैफिक के मुताबिक इस कीमत में थोड़ी-बहुत ऊंच-नीच
हो सकती है लेकिन अगर आपके मीटर में अगर बहुत ज्यादा अंतर है तो मुमकिन है कि उस
मीटर में छेड़छाड़ की गई ऐसे में आप ऐसे ऑटो रिक्शा चालकों की तुरंत शिकायत कर
सकते हैं। आप जिस शहर में है वहां के रीजनल ट्रैफिक ऑफिस यानी आरटीओ दफ्तर में
शिकायत कर सकते हैं। आरटीओ ने जारी किए हेल्पलाइन नंबर 1800220110 पर फोन कभी आप
अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
इस हेल्पलाइन के जरिए 1) आप को अगर कोई ऑटो या
टैक्सी कहीं जाने से मना कर दे उसकी भी शिकायत कर सकते हैं, 2) अगर कोई ऑटो या टैक्सी ड्राइवर आपके साथ मिसबिहेव करें, बुरा व्यवहार करें उसकी भी आप शिकायत कर सकते हैं। 3) अगर कोई
आपसे ज्यादा किराया वसूले उसकी आप शिकायत कर सकते हैं। 4) ऑटो या टैक्सी मीटर से जुड़ी शिकायत भी आप इसी हेल्पलाइन पर
कर सकते हैं। 5) इसके अलावा ऑटो और टैक्सी से जुड़ी अन्य शिकायतों के लिए भी आप
इसी हेल्पलाइन नंबर की मदद ले सकते हैं। इसके अलावा आप जब भी ऑटो रिक्शा या टैक्सी
में बैठे तब आपको अपने मोबाइल फोन में व्यस्त रहने के साथ-साथ ऑटो चालक पर भी
निगरानी रखनी चाहिए। ऐसे में अगली बार आप जब भी ऑटो या टैक्सी में सफर करें तो
सतर्क रहें।
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