आज कल सभी लोग खूब हंसते है,लेकिन बनावटी या दिखावटी,वर्ल्ड
लॉफ्टर्स डे 1998 में मुंबई से शुरू हुआ था तो वर्ल्ड स्माइल्स डे का आयोजन
स्माइली की इमोजी दुनिया को देने वाले हाव्रे बॉल ने 1999 में शुरू किया था। हंसना, मुस्कुराना एक ऐसी भावना है जो इंसान के अलावा किसी अन्य प्राणि
के नसीब में नहीं आई है। खास बात यह है कि खुशी सौ रोगों की एक दवा है। यही वजह है
कि आजकल महानगरों में भी लॉफ्टर क्लबों की संख्या में दिनोंदिन इज़ाफा होता जा रहा
है। हंसने से ऑक्सीजन लेने की क्षमता में इज़ाफा आपकी एयरोबिक क्षमता (दिल और
फेफड़े) को बढ़ा देता है।
इससे दिल की धड़कन और ब्लड प्रेशर में भी सेहत के लिए
उपयोगी सुधार आता है। हंसना शरीर को ठीक वैसे ही फायदा पहुंचाता है जैसा कि तेजी
से चलना। यह आपके पूरे शरीर की मांसपेशियों को सक्रिय कर देता है। इसलिए हंसते
रहिए मुस्कुराते रहिए और अंग्रेजी की इस कहावत को अपनी जिंदगी का हिस्सा बना लीजिए, ‘‘लाफ्टर इज द बेस्ट मेडिसिन।’’ लीड
रिसर्चर केरिना डब्ल्यू. डेविडसन (पीएचडी, कोलंबिया
यूनिवर्सिटी) के मुताबिक खुश रहने वाले लोग भी अवसाद और नकारात्मक भावनाओं का
सामना करते हैं, लेकिन यह स्थिति बहुत कम वक्त की और परिस्थितवश
होती है।
रिसर्च में पाया गया कि खुश रहने वाले लोगों में दिल की बीमारी की आशंका
हमेशा ग़म और खुशी के बीच झूलते रहने वाले लोगों की तुलना में 22 प्रतिशत कम रही। खुश रहना न केवल हमारे दिल बल्कि दिमाग के लिए भी बहुत अच्छा होता है। अवसाद, क्रोध, आक्रामकता जैसी भावनाएं
मुस्कुराने,
खिलखिलाने से दूर भाग जाती हैं। खुशी, संतोष, उत्साह भरा सकारात्मक
व्यक्तित्व आपको दिल की बीमारियों से दूर रखने में महत्वपूर्ण साबित होता है। कनाडा
में किए गए अध्ययन के दौरान रिसर्चर्स ने तकरीबन एक दशक तक 1739 स्वस्थ वयस्कों को
निगरानी में रखा। अध्ययन की शुरूआत में प्रशिक्षित पेशेवरों ने इन लोगों में मौजूद
नकारात्मकता (अवसाद, आक्रामकता, चिंता) और सकारात्मकता (खुशी, उत्साह, उमंग) की स्थिति का जायजा लिया।
आपका हंसना, खिलखिलाना दिमाग से लेकर पूरे शरीर में एक सकारात्मक चेन
रिएक्शन सी चला देता है। इससे शरीर में कोर्टिसोल का स्तर कम हो जाता है।
कोर्टिसोल तनाव से उत्पन्न होने वाला एक केमिकल है जो दिल की बीमारियों, हाइपरटेंशन, कमर के इर्द-गिर्द मोटापे के
लिए जिम्मेदार होता है। हंसी से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी और अधिक मजबूत होती
है, हमारी लार और खून में एंटीबॉडीज का ज्यादा उत्पादन कर
बैक्टीरिया,
वायरस और परजीवी पर अंकुश लगाती है। हंसना त्वचा
के लिए भी अच्छा होता है। देखा गया है कि एक्जिमा के मरीजों को नियमित तौर पर
कॉमेडी फिल्में देखने से फायदा होता है। एलर्जी के मरीजों को नियमित तौर पर हंसने
से शरीर पर होने वाली लाल फुंसियों, खराशों
से निजात मिल जाती है।
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