ग्लोबल न्यूजरूम पिछले
कई साल से ऑटोमेटेड जर्नलिज्म कर रहा है। ब्लूमबर्ग और एसोसिएटेड प्रेस जैसी
अमेरिकी संस्थाओं ने इस टैक्नॉलजी को काफी पहले हीअपना लिया था,लेकिन इस नई टेक्नॉलजी का इस्तेमाल ज्यादातर
फॉर्मूला बेस्ड या रिजल्ट बेस्ड स्टोरियों के लिए किया गया है। हालांकि रेडार जनरल
इंट्रेस्ट से जुड़ी स्टोरीज कवर करता है। इसका सॉफ्टवेयर हेल्थ, क्राइम,एजुकेशन और
हाउसिंग जैसी फील्ड्स से जुड़े ताजा आधिकारिक आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट्स जनरेट
करता है। यूनाइटेड किंगडम के एक रिपोर्टर ने देश के
अलग-अलग पब्लिकेशंस के लिए एक महीने में हजारों स्टोरियां निकाली हैं।
आप सोच रहे
होंगे कि इतना काम कोई इनसान आखिर कैसे कर सकता है। बता दें कि ये सुपर एफर्ट देने
वाला पत्रकार पूरी तरह से इनसान नहीं है। दरअसल इतनी बड़ी संख्या में जो आर्टिकल
छप सके हैं वो रोबोट की मदद से छप सकें हैं। इस इनोवेशन के पीछे ऑटोमेटेड न्यू
एजेंसी, रेडार (रिपोर्ट्स एंड डेटा एंड
रोबोट्स) का हाथ है। इसकी मदद से कई बार फ्रंट पेज भी बनाए जा सके हैं। रेडार में काम करने वाले छह में से किसी एक कर्मचारी को एक
टेम्प्लेट तैयार करना होता है। जैसे की अगर क्राइम में बढ़ोतरी हुई है या कमी आई
है,तो इस खबर का एक टेम्प्लेट तैयार कर दिया जाता
है।
इसके बाद एक क्लिक करते ही यूके के 391 लोकल अथॉरिटी के लिए स्टोरी के अलग
वर्जन क्रिएट हो जाते हैं। रेडार को 2017 में लॉन्च किया गया था। ये प्रेस
एसोसिएशन और डेटा जर्नलिज्म की स्टार्ट अर्ब्स मीडिया के बीच एक ज्वाइंट वेंचर है।
रेवेन्यू की कमी के चलते रीजनल जर्नलिस्टों में आई कमी और लोकल रिपोर्टिंग को
बढ़ाने के मकसद से इसे लॉन्च किया गया है। इसकी स्टोरीज छोटी से छोटी पब्लिकेशंस
से लेकर स्कॉट्समैन और यॉर्कशॉयर जैसे बड़े रीजनल अखबारों में देखने को मिलती है।
रेडार
का सबसे बड़ा क्लाइंट जेपीआई मीडिया है,जिसे पहले जॉन्सटन
प्रेस के नाम से जाना जाता था। जेपीआई करीब 160 ब्रांड्स को मैनेज करता है और
रेडार से इसे हर हफ्ते करीब 700 स्टोरीज मिलती हैं।
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