Tuesday, December 26, 2023

1200 सालों तक मरम्मत की जरुरत नहीं, बिना लोहे और सीमेंट से बन रहा अयोध्या राम मंदिर....

अयोध्या राम मंदिर के निर्माण में कई प्रांतों के कारीगरों ने अपनी भूमिका निभाई है। पत्थरों को तराशने के काम में राजस्थान, ओडिशा और मध्य प्रदेश के शिल्पकारों ने लंबे वक्त तक काम किया है। वहीं इसमें लगने वाले पिंक कलर के सैंड स्टोन राजस्थान के भरतपुर के वंशीपहाडपुर गांव से लाए गए हैं। गुलाबी रंग के ये पत्थर सबसे मजबूत माने जाते हैं। राम मंदिर के फर्श का निर्माण मकराना के पत्थरों से हुई है जबकि इसमें लगने वाले ग्रेनाइट तेलंगाना और कर्नाटक से लाए गए हैं। राम मंदिर के निर्माण में लोहे और सीमेंट का प्रयोग 
नहीं किया जा रहा है। मंदिर का निर्माण इस तरह से किया जा रहा है कि लगभग 1200 सालों तक मरम्मत की जरुरत नहीं पड़ेगी। साथ ही मंदिर की नींव में 40 मीटर ऑर्टफिशियल रॉक डाला गया है। वहीं 21 फिट तक ग्रेनाइट डाला गया है। श्री राम मंदिर जन्मभूमि निर्माण ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय के अनुसार श्री राम मंदिर का निर्माण इस तरह किया जा रहा है कि अगले 1200 सालों तक मरम्मत की कोई जरुरत नहीं पड़ेगी। मंदिर निर्माण में किसी तरह का लोहे और कंक्रिट का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। चंपत राय के अनुसार उत्तरी भारत में ऐसा कोई मंदिर नहीं जो इस तरह के पत्थरों के द्वारा बनाया गया हो। दक्षिण भारत के अधिकांश मंदिर को पत्थरों से बनाया गया है। 
सभी मंदिरों में परकोट का प्रयोग किया गया हैं। दरवाजे की डिजाइनिंग करने वाले कारीगर कन्याकुमारी के हैं। हैदराबाद की एक कंपनी को दरवाजे बनवाने का काम दिया गया है। मंदिर के निर्माण कार्य में विभिन्न राज्यों के 300 से अधिक कारीगर काम कर रहे हैं। रामलला की 51 इंच की दिव्य और भव्य प्रतिमा के निर्माण में तीन विशेषज्ञ मूर्तिकार लगाए गए हैं, जो मूर्तियों को श्याम संगमरमर पत्थर से बना रहे हैं। इनमें से दो मूर्तियां कर्नाटक के श्याम पत्थर से तराशी गई हैं। कर्नाटक के गणेश भट्ट और अरूण योगिराज ने श्याम पत्थर से रामलला की प्रतिमा को बनाएं है। राजस्थान के जयपुर के सत्यनारायण पांडे ने संगमरमर पत्थर से रामलला की दिव्य प्रतिमा को तराशा है।

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