कांग्रेस की ओर से भारत जोड़ो यात्राएं की जा रही हैं,लेकिन इसका असर चुनावों के
दौरान देखने को नहीं मिल रहा है। विधानसभा चुनावों से लेकर आम चुनाव तक हर जगह
कांग्रेस का प्रदर्शन निराशाजनक ही साबित हो रहा है। कांग्रेस का हाथ छोड़ने का
सिलसिला भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। 2014 का लोकसभा चुनाव हारने के
बाद से ही पार्टी से नेताओं का मोह भंग होना भी शुरू हो गया। कई कद्दावर नेताओं ने
पार्टी का हाथ छोड़ना शुरू कर दिया। कांग्रेस के बिखरते कुनबे का अंदाजा इसी बात
से लगाया जा सकता है
कि बीते 10 वर्षों में पार्टी के 12
पूर्व मुख्यमंत्रियों ने
कांग्रेस छोड़ी। सबसे पहले 31 जनवरी 2014
में ही लोकसभा रिजल्ट से
पहले विजय बहुगुणा ने पार्टी छोड़ी और मई में बीजेपी का दामन थाम लिया। वहीं 16
सितंबर 2016
को पेमा खांडू ने कांग्रेस
का हाथ छोड़कर दिसंबर के महीने में बीजेपी जॉइन कर ली। इसी साल अजीत जोगी ने भी
कांग्रेस को अलविदा कह दिया और अपनी नई पार्टी का ऐलान किया। वर्ष 2017
में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों
ने कांग्रेस को टाटा कह दिया। इनमें 28 जनवरी को एसएम कृष्ण और 18
जनवरी को एनडी तिवारी शामिल
हैं।
यह दोनों ही नेता बीजेपी में शामिल हो गए। कांग्रेस के लिए वर्ष 2018
से 2020
तक के तीन वर्ष थोड़े राहत
भरे रहे क्योंकि इस दौरान कोई पूर्व सीएम पार्टी छोड़कर नहीं गया,लेकिन इसके बाद 29
सितंबर 2021
को लुइजिन्हो फलेरियो और 2
नवंबर 2021
को कैप्टन अमरिंदर सिंह ने
कांग्रेस से अपना नाता तोड़ लिया। इन दोनों के अलावा इसी वर्ष 7
दिसंबर को रवि नाइक भी
पार्टी से अलग हो गए। वहीं वर्ष 2022 में गुलाम नबी आजाद और
दिगंबर कामत ने भी कांग्रेस की अपनी लंबी पारी को विराम दे दिया और पार्टी से अलग
हो गए। वहीं इस साल यानी 2024 में अशोक चव्हाण ने भी
कांग्रेस से अपना दाना-पानी बंद कर बीजेपी का राह
पकड़ ली। बीते कुछ वर्षों में कई दिग्गज और
कद्दावर नेताओं ने कांग्रेस से अपना नाता तोड़ा है।
इनमें हिमंत बिस्वा सरमा,
चौधरी बीरेंदार सिंह,
रंजीत देशमुख,
जीके वासन,
जयंती नटराजन,
रीता बहुगुणा जोशी,
एन बीरेन सिंह,
शंकर सिंह वाघेला,
टॉम वडक्कन,
ज्योतिरादित्य सिंधिया,
केपी यादव,
प्रियंका चतुर्वेदी,
जितिन प्रसाद,
मिलिंद देवड़ा,
बाबा सिद्दीकी,
बसवराज पाटिल जैसे नेता
शामिल हैं।
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