डब्ल्यूईएफ के मुताबिक, पिछले साल के दौरान वैश्विक तौर पर वेतन में लैगिंक
असमानता का अंतर थोड़ा कम हो गया है, लेकिन कार्यस्थलों पर
महिलाओं की संख्या में कमी आई है। 2017 में डब्ल्यूईएफ ने अनुमान लगाया था कि वेतन
अंतर को खत्म करने में 217 साल लगेंगे। महिलाओं को पुरुषों के समान वेतन हासिल
करने में 202 साल लग सकते हैं,क्योंकि वैश्विक वेतन का अंतर
बहुत बड़ा है और परिवर्तन की गति बेहद धीमी है। यह बात विश्व आर्थिक मंच (World
Economic Forum) की रिपोर्ट में कही गई है। डब्ल्यूईएफ की वार्षिक
रिपोर्ट में पाया गया है कि महिलाएं पुरुषों की औसत कमाई का 63 प्रतिशत ही कमाती
हैं।
149 में से एक भी देश का आकलन ऐसा नहीं है, जहां
महिलाओं ने औसतन पुरुषों के बराबर वेतन हासिल किया हो। डब्ल्यूईएफ में सामाजिक और
आर्थिक एजेंडे की प्रमुख सादिया जहीदी ने 'द गार्जियन'
को बताया,समग्र तस्वीर यह है कि लैगिंक समानता
रुक गई है। हमारे श्रम बाजार का भविष्य उतना समान नहीं हो सकता, जितना हमने एक समय सोचा था। रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण
पूर्व एशिया में लाओस महिलाओं के साथ समान व्यवहार करने के सबसे नजदीक है, जहां महिलाएं पुरुषों के वेतन का 91 प्रतिशत कमाती हैं।
वहीं, यमन, सीरिया और इराक में महिलाओं व पुरुषों के वेतन
में सर्वाधिक अंतर देखा गया, जहां महिलाएं पुरुषों के वेतन
का 30 प्रतिशत ही कमाती हैं। डब्ल्यूईएफ की 50 देशों की सूची में ब्रिटेन 149वें
स्थान पर है, जहां की महिलाएं पुरुषों के वेतन का 70 प्रतिशत
कमाती हैं। आइसलैंड राजनीतिक भूमिकाओं के मामले में सबसे समतावादी देश है, लेकिन अभी भी यहां महिला व पुरुष के वेतन में 33 प्रतिशत अंतर है, जो पिछले वर्ष की तुलना में बढ़ा है।
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