सभी धार्मिक कार्यों के पीछे कोई न कोई वैज्ञानकि
वजह भी जरूर होती है। इन्ही में से एक
पूजा पाठ के बाद हाथों में मौली बांधना है। विशेष पूजा के बाद हिंदू धर्म में कलाई
पर मौली बांधने का रिवाज है। मौली को हिंदुओ में काफी अहम माना जाता है,लेकिन क्या आप यह जानते हैं कि कलाई पर मौली बांधने के पीछे
एक वैज्ञानिक तर्क है जो स्वास्थ्य लाभों से जुड़ा है। आपको बताते हैं मौली बांधने
से जुड़े स्वास्थ्य लाभ। सुरक्षासूत्र के रूप में:- मौली को कई जगह कलावा भी कहा
जाता है, यह दिखने में लाल और केसरी रंग का होता है।
शास्त्रों के मुताबिक इसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है।
माना जाता है कि कलाई पर
मौली बांधने से जीवन पर आने वाले कई संकंट से रक्षा होती है,लेकिन
ये धागा आपको कई रोगों से भी बचाता है। जिस कारण भी इसे रक्षा सूत्र कहा जाता है। भगवान
का मिलता है आशीर्वाद:- हिदू शास्त्र में मौलि बांधने का महत्व भी बताया गया है।
जिसके मुताबिक मौलि बांधने से त्रिवेदों और तीनों महादेवियों की कृपा होती है। ये
महादेवियां हैं- महालक्ष्मी, जिनकी कृपा से धन संपत्ति आती
है। दूसरी महादेवी हैं सरस्वती, जिनकी कृपा से विद्या बुद्धि
प्राप्त होती है और तीसरी देवी हैं मां काली, इनकी कृपा से
मनुष्य बल और शांति प्राप्त करता है।
पवित्र धागा:- शास्त्रों के मुताबिल मौलि का
रंग और उसका एक एक धागा मनुष्य को शक्ति प्रदान करता है न केवल इसे बांदने से
बल्कि मौली से बनाई गईं सजावट की वस्तुओं को भी घर में रखने से भी बरक्कत होती है
और पोजिटिविटी आती है। आर्थिक समस्याएं होती हैं दूर:- ऐसा माना जाता है कि मौली
में देवी-देवता का प्रारूप होता है। मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार किया जाता है
और यह कई रंगों जैसे पीला, सफेद, लाल
और नारंगी का होता है। इसे कलाई पर बांधने
से आर्थिक समस्या भी दूर होती है। बीमारियों को रखता है दूर:- दरअसल, कलाई पर मौलि बांधने से हर वक्त ये नसों को जुड़ा रहता है जो कई बीमारियों
को दूर रखने में भी मदद करता है। इससे रक्त का संचार अच्छे से होता है।
जिसकी वजह
से रक्त का संचार बेहतर होता है और रक्तचाप, हृदय रोग,
मधुमेह और लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। प्रतिरक्षा
क्षमता को बढ़ाए:- जब आप कलाई पर मौलि बांधते हैं तो एक्यूप्रेशर के अनुसार रक्त
में कोई नरमता नहीं होती जो आपकी प्रतिरक्षा को मजबूत और फिट रखती है।
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