देश में पहली बार 2005 में वॉटरमेकर नाम की कंपनी ने इस तरह की
मशीन की शुरूआत की थी। इस कंपनी को शुरू करने वाले मेहर भंडारा ने एक मीडिया समूह
को बताया कि शुरूआत में इन मशीनों को लेकर मुश्किलें आईं लेकिन पिछले करीब तीन सालों
से इनकी बिक्री होने लगी है। आपने मौसम की तमाम खबरों से गुज़रते हुए आर्द्रता या
ह्यूमिडिटी शब्द सुना है। इस शब्द का मतलब हवा में पानी की मौजूदगी से ही समझा
जाता है। एटमॉसफेरिक वॉटर जनरेटर इसी तकनीक पर काम करता है कि हवा में मौजूद पानी
को लिक्विड के रूप में निकाला जा सके। ये मशीन बिजली से चलती है, जिसमें कॉइल्स लगी होती हैं। इनकी मदद से हवा में मौजूद पानी कंडेन्स होकर
द्रव रूप में आ जाता है। फिर इस मशीन में फिल्टर लगाए गए हैं, जिनके ज़रिए ये पानी शुद्ध रूप में आपको मिलता है।
ये कंपनी घरों, स्कूलों और क्लीनिकों में हवा से पानी
निकालने वाली मशीनें सप्लाई कर रही है।
वहीं, कोलकाता में
भी ऐसी एक कंपनी एक्वो है और इसके प्रमुख नवकरण बग्गा का कहना है कि ये मशीन आपको
पानी का एक स्वतंत्र स्रोत देती है, जिसके लिए
आपको किसी और पर निर्भर नहीं रहना होता। हैदराबाद में मैत्री एक्वाटेक ने इस मशीन
को मेघदूत नाम दिया है और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स के साथ एक समझौता करते हुए ऐसी एक
लाख मशीनें बनाने का ज़िम्मा उठाया है। अभी तक इन मशीनों का इस्तेमाल कॉरपोरेट्स
या लद्दाख जैसे कठिन इलाकों में सेना और नौसेना के लिए होता रहा है,लेकिन जलसंकट के
चलते अब इन मशीनों को आम जनता तक पहुंचाने की कोशिशें हो रही हैं। भारी क्षमता
वाली इन मशीनों को अब 25 से 100 लीटर पानी उत्पादन करने की क्षमता वाला बनाया जा
रहा है, जो घरों के उपयोग के लिहाज़ से है। घरों
में उपयोग के लिहाज़ से 25 से 30 लीटर पानी क्षमता वाली ये मशीनें बनाई जा रही हैं
और विभिन्न कंपनियों की कीमतों के हिसाब से ऐसी एक मशीन आपको 45 से 70 हज़ार रुपये
तक की कीमत में मिल सकेगी। वहीं दफ्तरों, स्कूलों या
बड़ी कंपनियों के लिहाज़ से 5000 लीटर पानी पैदा करने वाली क्षमता तक की मशीनें भी
बन रही हैं।
मैत्री कंपनी की 1000 लीटर क्षमता वाली मशीन की कीमत करीब दस लाख रुपये
है। अब सवाल ये है कि हवा में अगर प्रदूषण के तत्व पाए जाते हैं तो इससे निकलने वाला
पानी कैसे शुद्ध होगा। इस बारे में मशीन बनाने वाली कंपनियां दावा कर रही हैं कि
इन मशीनों में फिल्टर की तकनीक लगाई गई है, जिनके ज़रिए पानी
शुद्ध और पीने लायक निकलेगा। पांच स्टेप में पानी फिल्टर होगा और ये फिल्टर स्टेप
हैं कचरा हटाना, प्री कार्बन, पोस्ट कार्बन, खनिज गुणवत्ता सुधार और यूवी फिल्टर। इन मशीनों
की उपलब्धता के बाद फायदा तो ये होगा कि आपको पानी के लिए किसी और स्रोत पर निर्भर
नहीं रहना पड़ेगा,लेकिन इसकी एक शर्त भी होगी। वो ये कि हवा
में अगर आर्द्रता ज़्यादा होगी, तभी पानी निकल
सकेगा। यानी हवा में अगर ह्यूमिडिटी 20 फीसदी से कम है, तो ये मशीन पानी नहीं निकालेगी। मैत्री कंपनी के एमडी रामकृष्णन कहते हैं कि ये
मशीनें भविष्य हैं। उनकी मानें तो अगर हम वातावरण से सिर्फ 0.1 फीसदी आर्द्रता को
ही कन्वर्ट कर लेंगे तो हम सबके लिए पीने का पर्याप्त पानी होगा।
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