Wednesday, July 10, 2019

निकाह की शर्तों में ड्राइविंग के अधिकार को शामिल करा रही हैं सऊदी अरब की महिलाएं...


 सऊदी अरब में निकाह की शर्तों का इस्तेमाल महिलाएं और पुरूष दोनों, लेकिन खास तौर से महिलाएं अपने कुछ खास अधिकारों को सुरक्षित कराने के लिए करती हैं। पितृसत्तात्मक सऊदी अरब में महिलाओं को सामान्य तौर पर अपने पुरूष अभिभावक (पति, पिता या अन्य) की सभी बातें मानने के लिए मजबूर होना पड़ता है और वह कानून की शरण में भी नहीं जा सकती हैं,लेकिन पुरूष यदि निकाहनामे में लिखी किसी शर्त का उल्लंघन करता है तो महिलाएं इस आधार पर उससे तलाक ले सकती हैं। अभी तक महिलाएं निकाहनामे का इस्तेमाल अपने लिए मकान, घरेलू सहायिका रखने, आगे पढ़ाई जारी रखने या शादी के बाद भी नौकरी करते रहने जैसी शर्तें रखने के लिए करती थीं,लेकिन अब ड्राइविंग का अधिकार भी इसमें जुड़ रहा है।
90 के दशक में कई महिलाओं को नियम तोड़कर शहर में गाड़ी चलाने के लिए गिरफ्तार तक किया गया था. कई महिलाएं ब्रिटेन, कनाडा या लेबनान जैसे मुल्कों में जाकर अपने लिए अंतरराष्ट्रीय ड्राइविंग लाइसेंस बनवा लिया करती थीं। साथ ही आपको यह भी बता दें कि सऊदी अरब में अब भी महिलाओं को वो अधिकार हासिल नहीं है जो दूसरे देशों की महिलाओं के पास हैं। सऊदी अरब में अब भी महिलाएं अकेले प्रॉपर्टी नहीं खरीद सकतीं और अब भी कई काम महिलाओं के लिए बैन हैं।  
2015 तक सऊदी अरब में महिलाओं को मतदान तक का अधिकार नहीं था। सऊदी अरब ने कानूनी तौर पर भले ही महिलाओं को गाड़ी चलाने की अनुमति जरूर दे दी है,लेकिन इस अधिकार के उपयोग में कभी कोई रोड़ा ना अटकाए यह सुनिश्चित करने के लिए महिलाएं कार रखने और उसके चलाने के अधिकार को अपने निकाह की शर्तों में शामिल करा रही हैं। दम्मम के रहने वाले सेल्समैन माजद ने हाल ही में अपने निकाह की शर्तों के बारे में बातचीत करते हुए बताया कि कैसे उनकी मंगेतर ने शर्त रखी है कि वह कभी उसे गाड़ी चलाने से नहीं रोकेंगे। 
माजद (29) बताते हैं कि अगले महीने उनकी शादी होने वाली है। उनकी 21 वर्षीय मंगेतर ने दो शर्तें रखी हैं। एक वह शादी के बाद भी काम करेंगी और दूसरा कि उन्हें वाहन चलाने का अधिकार होगा। माजद कहते हैं कि वह (मंगेतर) स्वतंत्र रहना चाहती है।  मैंने इस पर कहा, हां, क्यों नहीं। माजद अपना पूरा नाम साझा नहीं करना चाहते हैं, क्योंकि निकाहनामा और उसकी शर्तें निहायत निजी और पारिवारिक मामला है। रियाद में निकाह पढ़ाने वाले एक मौलवी अब्दुलमोसेन अल-अजेमी का कहना है, निकाह में किसी भी तरह के विवाद से बचने के लिए कुछ महिलाएं ड्राइविंग के अधिकार को निकाहमाने में शामिल करा रही हैं। 
अल-अजेमी के पास हाल ही में ऐसा पहला निकाहनामा आया है। उनका कहना है कि निकाहनामा एक तरह से सुनिश्वित करता है कि शौहर अपने वादे को नहीं भूलेगा, क्योंकि यह वादा खिलाफ तलाक का आधार बन सकती है। सऊदी सरकार ने महिलाओं को गाड़ी चलाने का अधिकार तो दे दिया है, लेकिन घर के पुरूष अभिभावकों द्वारा ड्राइविंग से मना किए जाने या कार रखने की इजाजत नहीं मिलने की सूरत में क्या किया जा सकता है, उस संबंध में कुछ नहीं कहा है।

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