बामबर्ग विश्वविद्यालय हुए शोध के प्रमुख लेखक सिमोन लेहरल ने
कहा,हमारे परिणाम न केवल साक्षरता, बल्कि संख्यात्मकता में भी विकास के लिए बच्चों
को पुस्तकों के लिए उजागर करने के महान महत्व को रेखांकित करते हैं। उन्होंने कहा,प्रारंभिक भाषा कौशल न केवल एक बच्चे के पढ़ने
में सुधार करते हैं, बल्कि उसकी गणितीय क्षमता को भी बढ़ाते हैं।
जीवन के शुरुआती सालों में ही यदि बच्चों को घर में पढ़ाई के लिए अच्छा माहौल मिल
जाए, तो वे होम लर्निग के माध्यम से भविष्य में
अच्छी श्रेणी में उत्तीण हो सकते हैं और पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। एक
शोध में यह बात सामने आई है।
स्कूल प्रभावशीलता और स्कूल सुधार' में प्रकाशित शोध में यह बात सामने आई है कि जिन
बच्चों के माता-पिता ने स्कूल भेजने से पहले ही बच्चों के साथ पढ़ा और किताबों के
बारे में बात की, वे सभी 12 साल की उम्र
में गणित के विषय में अच्छे अंक लेकर आए। निष्कर्ष के लिए शोधकर्ताओं ने 229 जर्मन बच्चों का तीन साल की उम्र से लेकर माध्यमिक
विद्यालय तक अध्ययन किया।
प्रतिभागियों की
साक्षरता और संख्यात्मक कौशल का परीक्षण उनके तीन साल के पूर्वस्कूली (उम्र 3-5) में किया और दूसरी बार फिर जब वे 12 या 13 वर्ष के हुए
तब यह परीक्षण किया गया। उन्होंने पाया कि बच्चों ने अपने पूर्वस्कूली वर्षों में
साक्षरता, भाषा और अंकगणितीय कौशल घर के प्रोत्साहन
से प्राप्त किया, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने इसके बाद घर
में सीखने के माहौल की परवाह किए बिना माध्यमिक विद्यालय में पढ़ने और गणितीय कौशल
में उच्च परिणाम प्राप्त किए।
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