Thursday, October 26, 2023

37,000 से अधिक गर्भवती महिलाएं बिना चिकित्सा सुविधा बच्चो को जन्म देने के लिए मजबूर गाजा पर गिरी इजरायल और हमास की गाज से

संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनपीएफ) के अनुसार, गाजा के युद्धग्रस्त क्षेत्र में करीब 50,000 गर्भवती महिलाएं हैं, जिनमें से कई नियमित जांच और उपचार की कमी से पीड़ित हैं। अल-बारबरी कहती हैं,बच्चों के घरों के मलबे के नीचे या चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती होने की तस्वीरें मुझे मेरे बच्चे के लिए बहुत डरा देती हैं मैं रोज अपने बच्चे को इन मिसाइलों से बचाने के लिए युद्ध समाप्त होने की प्रार्थना करती हूं। खान यूनिस में नासिर मेडिकल कॉम्प्लेक्स में प्रसूति और स्त्री रोग विज्ञान में एक चिकित्सा सलाहकार, वालिद अबू हताब के अनुसार, विस्थापन की वजह से स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच बहुत मुश्किल हो गई है। फलस्तीनी परिवार नियोजन और संरक्षण 
संघ के अनुसार, आने वाले महीनों में गाजा में 37,000 से अधिक गर्भवती महिलाओं को बिना बिजली या चिकित्सा आपूर्ति के बच्चे को जन्म देने के लिए मजबूर किया जाएगा, जिससे आपातकालीन प्रसूति सेवाओं तक पहुंच के बिना जीवन-घातक जटिलताओं का खतरा होगा। अबू हताब ने कहा,मुझे गर्भवती महिलाओं के दर्जनों कॉल आए, जिनमें उन्होंने बताया कि वे इंसुलिन और हृदय रोग से पीड़ित हैं और स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं।





स्वास्थ्य देखभाल और उपचार तक पहुंच की कमी उनके जीवन को खतरे में डालती है और मृत्यु का कारण बन सकती है। इस बीच कैंप में कुछ ऐसी महिलाएं भी हैं, जो कई दर्दनाक आईवीएफ चक्रों के बाद गर्भवती हुईं, अब उन्हें चिंता है कि उनका गर्भपात हो जाएगा। 30 साल की लैला बराका, दूसरे बच्चे के लिए वर्षों की कोशिश के बाद आईवीएफ के जरिये गर्भ धारण करने में सफल रही। वह तीन महीने की गर्भवती है। वह कहती हैं पूरे दिन और रात मैं बम धमाकों की आवाज से डरती हूं।  मैं अपने पांच साल के बेटे को गले लगाती हूं और अपने डर को निगलने की कोशिश करती हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर पाती। हम जो सुनते हैं वह सिर्फ इंसानों को ही नहीं बल्कि पत्थरों को भी भयभीत कर सकता है। इजरायल और हमास के बीच गाजा में चल रहे युद्ध की दो तस्वीरें हैं। एक वो जिसमें हम सिर्फ मौत देख रहे हैं, जबकि दूसरी तस्वीर है वो जिसमें लोग भूख, प्यास और मूलभूत सुविधाओं के अभाव में तड़प रहे हैं।  लाखों लोग राहत शिविरों में इस तरह की जिंदगी जीने को मजबूर हैं। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल हैं।
 
 

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