Saturday, October 21, 2023

शनि की साढ़े साती से दिलाए मुक्ति शमी का पेड़....

बीते युग महाभारत में पांडवों ने अज्ञातवास के समय में अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष में ही छिपाए थे। आयुर्वेद में भी शमी का काफी अधिक महत्व है। कई दवाओं में इस पेड़ की पत्तियां, जड़ और तने का उपयोग होता है। गणेश जी को हर बुधवार शमी के पत्ते चढ़ाने  चाहिए। दूर्वा की तरह ही शमी पत्ते भी गणेश जी को प्रिय हैं। मान्यता है कि शमी में शिवजी का वास होता है,इसी वजह से ये पत्ते गणेश जी को प्रिय हैं। ये पत्ते शिवलिंग पर भी अर्पित करने चाहिए। जिन लोगों की कुंडली में शनि के दोष होते हैं,उन्हें हर शनिवार शमी के 
पत्ते शनि देव को चढ़ाना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शमी पत्तों से शनि प्रसन्न होते हैं और कुंडली के दोष दूर होते है। शमी को नियमित सींचने के साथ इसके आगे दीपक जलाएं। रोजाना कम से कम एक पत्ती भगवान शिव को चढ़ाएं। ध्यान रहे कि बिना स्नान किये व रात को इसका स्पर्श बिल्कुल ना करें।  किसी भी काम से घर से निकलते समय भी इसका दर्शन करें। शमी के पेड़ को घर में भी लगाया जा सकता है। यह पीपल व बड़ की तरह वर्जित नहीं है। घर में इसे विजयादशमी या शनिवार को उत्तर- पूर्व में लगाना श्रेष्ठ माना गया है। 
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, घर की उत्तर-पूर्व दिशा के कोने में शमी का पौधा लगाना चाहिए। किसी भी शुभ दिन शमी अपने घर में लगा सकते हैं। इस पौधे की पूजा नियमित रूप से करनी चाहिए। ऐसी मान्यता है कि शमी के पौधे से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और वास्तु के कई दोष दूर होते हैं।

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