संसद और सांसदों के कामकाज पर केन्द्रित वेबसाइट ‘पार्लियामेंट्री बिजनेस डाट काम' के अध्ययन के मुताबिक तमाम नेता संसद और संसद के
बाहर तो खूब सक्रिय दिखे लेकिन सांसद की सबसे प्रमुख जिम्मेदारी सवाल पूछने के
मामले में फिसड्डी साबित हुए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी संसद के बाहर भले ही
मुखर हों, लेकिन लोकसभा में पांच साल के दौरान
उन्होंने एक भी सवाल नहीं पूछा। वहीं सांसद विकास निधि (एमपी लैड) के पैसे खर्च
करने में भी वे काफी पीछे हैं। वहीं विकास के नाम पर राजनीति करने वाले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सांसद निधि के जरिए विकास करने में कंजूस दिखे हैं।
कुल 31 सांसद ऐसे हैं जिन्होंने एक भी सवाल पूछना गवारा नहीं समझा। वेबसाइट
पार्लियामेंट्री बिजनेस डाट काम का लोकार्पण लोकसभाध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने किया
था। वेबसाइट ने लोकसभा के बजट सत्र सहित
पूरे पांच साल के सभी सत्रों का गहराई से विश्लेषण कर कई रोचक जानकारियां पेश की
हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी,वरिष्ठ
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी,दिग्गज भाजपा
नेता लालकृष्ण आडवाणी, शत्रुघ्न
सिन्हा,सपा के दिग्गज नेता मुलायम सिंह यादव जैसे
नेताओं में एक समानता है कि इनमें से किसी भी नेता ने लोकसभा के पांच साल के
कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा।
राहुल गांधी ने एमपी लैड की जहां लगभग 60.56
फीसदी राशि खर्च की है तो नरेंद्र मोदी भी महज 62.96 फीसदी रकम खर्च कर पाए हैं।
राहुल के नक़्शे कदम पर चलते हुए कांग्रेस के कुल 45 सांसदों ने भी इस मामले भरपूर कंजूसी दिखाई और
सांसद विकास निधि का सर्वाधिक उपयोग करने वाले देश के शीर्ष 50 सांसदों में मात्र
दो सांसद कांग्रेस के हैं जो 45वें एवं
49वें नंबर पर है। सांसद निनोंग एरिंग और डी.के. सुरेश ही इस सूची में स्थान बनाने
में कामयाब रहे। वहीं अश्विनी कुमार चौबे,गिरिराज सिंह,मुरली मनोहर
जोशी और अनुराग ठाकुर जैसे कुछ सांसद ऐसे भी हैं
जिन्होंने एमपी लैड का 95 फीसदी से अधिक इस्तेमाल कर दिखाया। 16 वीं लोकसभा
में 219 गवर्मेंट बिल रखे गए और इनमें से 93 प्रतिशत पास हो गए जबकि प्राइवेट मेंबर बिल की अनदेखी का सिलसिला
इस लोकसभा में भी चलता रहा और 1117 प्राइवेट मेंबर बिल में से एक भी पास नहीं हो
पाया जबकि इसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष
दोनों ओर के सांसदों की भागीदारी थी।
जहां तक लोकसभा में उपस्थिति की बात है तो इन
पांच सालों में औसतन 80 फीसदी उपस्थिति
दर्ज की गयी। इसमें पुरुष सांसदों की मौजूदगी 80.34 प्रतिशत और महिला सांसदों की
उपस्थिति 77.98 फीसदी रही। यदि पार्टी वार सांसदों की उपस्थिति की बात करें तो
सत्तारूढ़ भाजपा के सांसद उपस्थिति के मामले में
पांचवे तो मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद संसद में मौजूदगी के मामले
में 21 वें स्थान पर रहे। व्यक्तिगत उपलब्धि के तौर पर देखे तो भाजपा के भैरो प्रसाद मिश्र और बीजू जनता दल के डा कुलमणि
सामल ने सौ फीसदी उपस्थित रहकर शत प्रतिशत उपस्थिति दर्ज कराई। युवा सांसद ने भी
उपस्थिति के मामले में ज्यादा रूचि नहीं दिखाई जबकि पहली बार के सांसद बढ़ चढ़कर
संसद पहुंचे। जहां तक सांसद विकास निधि के खर्च की बात है तो अब तक 30 फीसदी से
अधिक निधि बिना खर्च हुए सरकारी खजाने की शोभा बढ़ा रही है।
कहने का तात्पर्य यह है कि सांसदों को हर साल
मिलने वाली विकास राशि भी पूरीतरह से खर्च नहीं हो पायी। एमपी लैड पर सरकार की ही
वेबसाईट पर उपलब्ध आकंड़ों के अनुसार 10 जनवरी 2019 तक बिना खर्च हुए 4021.13 करोड़
रुपये जमा हैं। सांसद विकास निधि खर्च करने में महिला सांसद बेहतर हैं उन्होंने 72
फीसदी राशि खर्च कर दी जबकि पुरुष सांसद 69.33 प्रतिशत राशि ही खर्च कर पाए।
राजस्थान,महाराष्ट्र,दिल्ली और
उत्तराखंड के सांसद इस राशि को खर्च करने के मामले में सबसे फिसड्डी हैं।
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