देश के अलग-अलग राज्यों में बिक रही बच्चों की
दूध की बोतल और सिपर में खतनाक केमिकल होता है। एक रिसर्च से यह बात सामने आई है। भले
ही आप बच्चे की सेहत के लिए हर छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रख रही हो,लेकिन आपको बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए हमेशा सजग रहना
जरूरी है। हाल में ही हुई एक रिसर्च ने सभी को सकते में डाल दिया है। रिसर्च से
साफ हुआ है कि छोटे बच्चों के दूध की बोतल और सिपर कप में रसायन की मात्रा मिल रही
है, जो की जानलेवा है। खास किस्म का रसायन बिस्फेनॉल-ए। बच्चों
की दूध की बोतल में शोध के दौरान पाया गया,जो बेहद हानिकारक
है और इसके प्रभाव से बच्चों में आगे चलकर अलग-अलग तरह की बीमारियां होने का कारण
बनता है।
देश के अलग-अलग हिस्सों से एकत्र किए गए नमूनों के आधार पर दिल्ली आधारित
संस्था टॉक्सिक लिंक ने अपनी अध्ययन रिपोर्ट में दावा किया है। देश के बाजार में
धड़ल्ले से बिक रही दूध की बोतल और सिपर बच्चों के लिए सेफ नहीं हैं। बीते 4 साल में
दूसरी बार जारी की गई इस स्टडी में साफ किया गया है कि बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन
स्टैंडर्ड) का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है। जिनका सैंपल लिया गया उनमें 14 बोतल
और 6 सिपर शामिल थे। यह सैंपल दिल्ली के अलावा गुजरात, राजस्थान,
केरल, आंध्र प्रदेश, झारखंड, महाराष्ट्र,मणिपुर से लिए गए। इनकी टेस्टिंग इंडियन
इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी, गुवाहाटी में करवाई गई। जिनमें यह
साफ हुआ की बोतल में मौजूद केमिकल बच्चों के खाने में पहुंच रहा है।
सस्ती और घटिया
कंपनी वाली बोतलों को भी केमिकल की कोटिंग कर के उन्हें मुलायम रखती है। साथ ही
बोतल लंबे समय तक खराब नहीं होती है। मैक्स अस्पताल, पटपड़गंज
की सीनियर (पीडीअट्रिशन) - डॉक्टर तपीशा गुप्ता ने बताया कि जब बोतल में गर्म दूध
या पानी डालकर बच्चे को पिलाया जाता है, तो यह रसायन भी
घुलकर बच्चे के शरीर में चला जाता है और शरीर में जाने के बाद इस रसायन से पेट और
आंतों के बीच का रास्ता बंद हो जाता है। जिससे कभी-कभी जान का भी खतरा बन जाता है।
यही नहीं काफी दिनों तक दूध के सहारे शरीर में रसायन पहुंचने के कारण ह्रदय,
गुर्दे, लिवर और फेफड़ों की बीमारी हो सकती है।
बोतल से लगातार दूध पिलाने से बच्चे के गले में सूजन आ जाती है। उसे उल्टी दस्त भी
हो सकते हैं।
डायरिया भी हो जाता है,तो हमेशा मेडिकेडेट बोतल
का इस्तेमाल करें। गुणवत्ता वाली बोतलें मेडिकल स्टोरों पर उपलब्ध होती हैं। पॉली
कार्बोनेट से बनी बेबी बॉटल पर बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) ने 2015 में
ही रोक लगा दी थी, लेकिन इसके बावजूद यह अब भी इंडियन
मार्केट में उपलब्ध है और बच्चों की बीमारियों
का एक बड़ा कारण बन रही है। इसको लेकर अभी कोई कानून न होने का फायदा बहुत कंपनियां
उठा रही है और नन्हे मासूमों को इसका शिकार होना पड़ रहा है।
No comments:
Post a Comment