Monday, April 29, 2019

अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी ट्रेड वॉर का भारत को मिल सकता है फायदा 200 अमेरिकी कंपनियां भारत आने के लिए तैयार....


मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी ट्रेड वॉर से परेशान कंपनियों के लिए चीन से बेहतर भारत में यूनिट लगाना है। आने वाले समय में अगर अमेरिकी कंपनियां भारत में निवेश करती है तो इसका सीधा असर भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा। एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जितनी ज्यादा कंपनियां होंगी उतनी ज्यादा नौकरियां होगी। भारतीय रुपये में मजबूती आएगी।  ऐसे में विदेशों से सामान खरीदना सस्ता हो जाएगा। लिहाजा देश में महंगाई कम हो जाएगी। आने वाली नई सरकार को अधिक से अधिक निवेश देश में आकर्षित करने के लिए रिफॉर्म और ट्रांसपेरेंसी पर जोर देना होगा। 
इन कंपनियों के भारत में आने से हजारों नौकरियों के मौके तैयार होंगे। USISPF (यूएस-इंडिया स्ट्रेटजिक एंड पार्टनरशिप फोरम) के प्रेसीडेंट मुकेश आघी के मुताबिक, भारत में निवेश के लिए कंपनियां उनसे सलाह ले रही हैं। उनका कहना है कि आम चुनाव के बाद बनने वाली नई सरकार को आर्थिक सुधारों की रफ्तार तेज करनी होगी। एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल के अनुसार ये कंपनियां भारत में यूनिट लगाएंगी तो पहले वो डॉलर बेचकर रुपया खरीदेंगे।  लिहाजा भारतीय रुपये में मजबूती है। रुपये के मजबूत होने से विदेशों से कच्चे तेल समेत अन्य प्रोड्क्ट खरीदने के लिए कम डॉलर खर्च करने होंगे। ऐसे में देश की आर्थिक ग्रोथ को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही शेयर बाजार में तेजी आने से म्युचूअल फंड में ज्यादा रिटर्न मिलेंगे।  देश के विदेशी पूंजी भंडार को बढ़ावा मिलेगा। यूनिट लगाने से इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए इस्तेमाल होने वाले प्रोड्क्ट की डिमांड बढ़ेगी। 
विदेशी कंपनियां भारत में यूनिट लगाएंगी। नए दफ्तर भी खुलेंगे।  इसकी वजह से अधिक नौकरियां पैदा होंगी, जो देश में रोजगार को बढ़ावा देंगी। क्यों चीन को छोड़कर भारत आना चाहती हैं कंपनियां- एसकोर्ट सिक्योरिटी के रिसर्च हेड आसिफ इकबाल के अनुसार चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वॉर की टेंशन बढ़ गई है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सामने खड़ी ये चुनौती बेहत जटिल है। विदेशी कंपनियां लगातार सरकार पर दबाव बना रही है। चीन पर कंपनियों तकनीक के हस्तांतरण यानी टेक्नॉलॉजी ट्रांसफर के प्रावधान से छूट देने के लिए कानून बनाने की बात कह रही हैं,लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। 
मुकेश आघी के अनुसार भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने के लिए उन्होंने एक हाई-लेवल मैन्युफैक्चरिंग काउंसिल का गठन किया है। यह काउंसिल चुनाव पूरा होने तक एक डॉक्यूमेंट तैयार करेगी जिसमें भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की योजना तैयार है। आघी ने कहा है कि भारत और अमेरिका के बीच अगर मुक्त व्यापार समझौता (FTA) होता है तो इससे भारत का निर्यात बढ़ेगा। इससे चीन से आने वाले सस्ते सामान की समस्या खत्म होगी. चीन के सामान पर प्रतिबंध लगाने के बाद अमेरिका और भारत की कंपनियों को एक-दूसरे देश में बड़ा बाजार मिलेगा।

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