Tuesday, April 16, 2019

बीते जमाने के गर्भनिरोध के अजीबोगरीब तरीके....

आजकल के जमाने में तो बर्थ कंट्रोल यानि परिवार नियोजन को लेकर कई तरह दवाएं और कंडोम से लेकर दूसरे तरीके हैं लेकिन पुराने जमाने में इसके लिए ऐसे तरीकों को इस्तेमाल किया जाता था कि आप हैरत में पड़ सकते हैं। निचोड़ा हुआ आधा नींबू -कई संस्कृतियों में निचोड़े हुए आधे नींबू का इस्तेमाल शुक्राणुनाशक के रूप में किया जाता था। कैसेनोवा के संस्मरण में बर्थ कंट्रोल को लेकर इस प्रयोग का ज़िक्र है। भेड़ के मूत्राशय के बने कॉन्डम में निचोड़े हुए आधे नींबू का इस्तेमाल अस्थायी रूप से सर्वाइकल कैप के रूप में किया जाता था। 
नींबू का साइट्रिक एसिड शुक्राणुनाशक का काम करता है, लेकिन यह उनके लिए नहीं था जो संयम से काम नहीं लेते। नींबू का इस्तेमाल अब भी कई जगहों पर किया जाता है। मगरमच्छ का मल-प्राचीन मिस्र की प्रेमातुर महिलाएं मगरमच्छ के मल का इस्तेमाल गर्भ रोकने लिए करती थीं। महिलाएं मगरमच्छ के मल का इस्तेमाल पेसरिज़ के रूप में करती थीं। 1850 ईसा पूर्व के दस्तावेजों के मुताबिक इस तरीके का इस्तेमाल गर्भनिरोधक के रूप में किया जाता था। मगरमच्छ का मल आधुनिक शुक्राणुनाशक की तरह हल्का क्षारीय होता है, इसलिए इसके कारगर होने की संभावना रहती है।
फ्लोर क्लीनर बनाने वाली कंपनी लाइज़ॉल उस वक्त विवाद में आ गई थी, जब उसने अपने एक विज्ञापन में गर्भ निरोध और शरीर के हाइजिन के लिए इसका इस्तेमाल करने को कहा। कंपनी ने अपने एड की पूरी सीरीज ही चला दी। इसमें दावा होता था कि डॉक्टरों ने इस तरीके पर रजामंदी जाहिर की है। इस विज्ञापन के बाद कई लोगों ने इसे यूज किया। कई महिलाओं में लाइज़ॉल पॉइजनिंग की शिकायत होने लगी। कई महिलाओं की बिगड़ती हालत देखने के बाद कंपनी ने इस ऐड को बंद किया,लेकिन बर्थ कंट्रोल का ये तरीका भी खासा पॉपुलर हुआ। प्राचीन ग्रीक और रोमन के लोग जानवरों की अंतड़ियों से बने कंडोम का इस्तेमाल किया करते थे। ये कंडोम गर्भ निरोध तो करता ही था, साथ ही यौन संक्रमण से भी बचाता था। 
पहले ग्रीनलैंड के निवासी मानते थे कि महिलाएं चांद की वजह  से गर्भवती हो जाती हैं। इसलिए महिलाओं का चांद की सिर करके सोना मना  था। वो ना केवल चांद की तरफ पीठ करके सोती थीं बल्कि अपनी नाभि पर थूक लगा लेती थीं। चीन में महिलाओं को गर्भ निरोध के लिए खाली पेट, तेल और पारा (मरक्युरी) का घोल पिलाया जाता था। हालांकि ये खासा खतरनाक होता था। कभी कभी इससे मौत तक भी हो जाती थी। पारा शरीर के लिए ज़हर होता है। इसके सेवन से बांझपन का ख़तरा होता है। ग्रीस में महिलाएं सेक्स के बाद ज़ैतून का तेल और देवदार के तेल को मिलाकर नहाती थीं। उनका मानना था कि ऐसा करने से पुरुष के स्पर्म (शुक्राणु) धुल जाते थे। 

No comments:

Post a Comment

नदी सफाई अभियानाचे कार्य प्रगतीपथावर

नागपूर: -   नागपूर महानगरपालिका आयुक्त तथा प्रशासक डॉ. अभिजीत चौधरी यांच्या मार्गदर्शनात आणि अतिरिक्त आयुक्त श्रीमती आंचल गोयल यांच्या नेतृत...