Wednesday, April 10, 2019

माता-पिता से बड़कर भी कोई दौलत है आपके पास.....?

हर बच्चे के माँ-बाप एक पेड़ की तरह अपने बच्चे को हर मुसीबत,मुश्किल रूपी धूप से छाँव रूपी आसरा देते है। किन्तु माता-पिता के व्रद्ध होते ही बच्चे उन्हे छोड़ देते है या नजर अंदाज करने लगते है। एक बार एक पुत्र अपने वृद्ध माता-पिता को डिनर [रात्रि भोज] के लिए एक अच्छे रेस्टॉरेंट में लेकर गया। माता- पिता के हाथ कांपते थे इसलिए पुत्र अपने हाथों से ही खना खिला रहा था। खाने के दौरान वृद्ध पिता के मुँह से राल (लार)  निकलकर बार-बार, पिता जी के कपड़ों पर टपक रही थी। पुत्र अपने रुमाल से हरबार पौछ रहा था। रेस्टॉरेंट में बैठे दूसरे खाना खा रहे लोग पुत्र-पिता को घृणा की नजरों से देख रहे थे।
कह रहे थे---> रेस्ट्रारैंट में कैसे-कैसे असामाजिक और असभ्य लोग आ जाते हैं वृद्ध का बेटा शांत, बड़े ध्यान से मंत्र मुग्ध होकर, प्रसन्न चित्त से अपने पिताजी को खाना खिलाने में मग्न था। खाना खिलाने के पश्चात बड़ी प्रसन्नता से पुत्र वृद्ध पिता को वॉश रूम में ले गया। पिताश्री के हाथ-मुँह धोएँ  !!! पिता को अपने बैग में से नए कपड़े निकालकर पहनाए ! उनके बालों में कंघी की। चश्मा पहनाया और फिर बाहर लाया l सभी लोग खामोशी से उन्हें ही देख रहे थे। पुत्र काउंटर पर गया ---> मैनेजर से बिल माँगा। मैनेजर ने कहा-आपका बिल पेमैंट हो गया है ! युवक ने पूछा, मैनेजर साहब, मैंने अभी तक बिल पेमैंट नहीं किया है !आप कृपया मुझे बिल दीजिएगा। 
मैनेजर ने विस्तार से बताया-----> आपके आचरण को देखकर मेरी आँखें खुली की खुली रह गई !!! मेरे पिताजी भी वृद्ध हो गए हैं। उनकी स्थिति भी आपके पिता जी जैसी ही है। यह रेस्ट्रारैंट उन्हीं की कृपा से है। पिता जी, रेस्ट्रारैंट में आने के लिए बहुत जिद्द करते हैं। परंतु एक मैं हूँ कि उन्हें उन्हीं के रेस्ट्रारैंट में कभी भी नहीं लाया हूँ !!! एक आप हैं ! 
आपने मुझे मेरी भूल का ज्ञान करा दिया। मैं अपनी गलती के लिए पश्चाताप कर रहा हूँ। अभी घर जाकर अपने वृद्ध पिता को लेकर आऊँगा। और हाँ ! आपसे इस रेस्ट्रारैंट में कभी भी बिल नहीं लिया जाएगा। आपका बहुत- बहुत धन्यवाद!!!  युवक वृद्ध पिता जी के साथ बाहर जाने लगा। 
तभी डिनर कर रहे एक अन्य वृद्ध ने बेटे को आवाज दी और कहा, बेटा, आज आप यहाँ बहुत बड़ा संदेश छोड़कर जा रहे हो ! बेटे ने जवाब दिया, नहीं सर, मैं कुछ भी छोड़ कर नहीं जा रहा हूँ। वृद्ध ने कहा बेटे, तुम यहाँ छोड़ कर जा रहे हो, प्रत्येक पुत्र के लिए एक शिक्षा, संदेश Message (सबक) और प्रत्येक पिता के लिए एक आशा की  किरण !!! और पुत्र अपने पिताजी की अँगुली पकड़कर ठीक ऐसे ही ले जा रहा है, जैसे पिताजी पुत्र/पुत्री की अँगुली पकड़कर रेस्ट्रारैंट में लाया करते थे.....

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