साथियों मुझे तीसरे कार्यकाल की शपथ ग्रहण करने के बाद, पहले 10 दिनों में ही नालंदा आने का अवसर मिला हैये मेरा सौभाग्य तो है ही, मैं इसे भारत की विकास यात्रा के लिए एक शुभ संकेत के रूप में देखता हूं। नालंदा, ये केवल नाम नहीं है। नालंदा एक पहचान है, एक सम्मान है। नालंदा एक मूल्य है, नालंदा मंत्र है, गौरव है, गाथा है।
नालंदा है उद्घोष इस सत्य का, कि आग की लपटों में पुस्तकें भले जल जाएं लेकिन आग की लपटें ज्ञान को नहीं मिटा सकतीं। नालंदा के ध्वंस ने भारत को अंधकार से भर दिया था। अब इसकी पुनर्स्थापना भारत के स्वर्णिम युग की शुरुआत करने जा रही है।साथियों,अपने प्राचीन अवशेषों के समीप नालंदा का नवजागरण, ये नया कैंपस, विश्व को भारत के सामर्थ्य का परिचय देगा। नालंदा बताएगाजो राष्ट्र, मजबूत मानवीय मूल्यों पर खड़े होते हैं, वो राष्ट्र इतिहास को पुनर्जीवित करके बेहतर भविष्य की नींव रखना जानते हैं। और साथियों नालंदा केवल भारत के ही अतीत का पुनर्जागरण नहीं है। इसमें विश्व के, एशिया के कितने ही देशों की विरासत जुड़ी हुई है।
एक यूनिवर्सिटी कैंपस के inauguration में इतने देशों का उपस्थित होना, ये अपनेआप में अभूतपूर्व है। नालंदा यूनिवर्सिटी के पुनर्निर्माण में हमारे साथी देशों की भागीदारी भीरही है। मैं इस अवसर पर भारत के सभी मित्र देशों का, आप सभी का, अभिनंदन करता हूं। मैं बिहार के लोगों को भीबधाई देता हूं। बिहार अपने गौरव को वापस लाने के लिए जिस तरह विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है, नालंदा का ये कैंपस उसी की एक प्रेरणा है।कार्यक्रम में उपस्थित बिहार के राज्यपाल श्री राजेन्द्र अरलेकर जी, यहां के कर्मठ मुख्यमंत्री श्रीमान नीतीश कुमार जी, हमारे विदेश मंत्री श्री एस जयशंकर जी, विदेश राज्य मंत्री श्री पबित्र जी, विभिन्न देशों के Excellencies, एंबेसडर्स, नालंदा यूनिवर्सिटी के वीसी, प्रोफेसर्स, स्टूडेंट्स और उपस्थित साथियों! का आभार।
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