नई दिल्ली:- उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज जैसलमेर में BSF के
सैनिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए जवानों से कहा कि आपके बीच में आकर एक नई ऊर्जा
का अहसास कर रहा हूंऔर ये पल मेरे लिए सदा यादगार रहेगा। अपने
छात्र जीवन के याद करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि“मैं सैनिक स्कूल
चित्तौड़गढ़ का छात्र रहा हूं। कक्षा 5 में वर्दी पहनी थी- वर्दी की ताकत, वर्दी
की अहमियत मुझे पता है। वर्दी आपको किस रूप में अचानक परिवर्तित कर देती है यह
मैंने बचपन में देखा है।” उन्होंने सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कर्तव्यनिष्ठा की प्रशंसा
करते हुए कहा कि “आपको देखकर मैं अभिभूत हूं!देश की प्रथम रक्षा पंक्ति- सीमा
सुरक्षा बल उत्कृष्ट रूप से कर्तव्य निर्वहन कर रहा है। आपका कार्य अत्यंत
प्रशंसनीय और वंदनीय है।” ज्ञात रहे कि कल शाम उपराष्ट्रपति ने जैसलमेर
में BSF की बावलियांवाला सीमा चौकी का दौरा किया था और वहां तैनात जवानों से
मुलाकात की थी। इस अवसर पर उन्होंने 'तनोट विजय स्तंभ' पर अमर शहीदों को कृतज्ञ राष्ट्र की ओर से श्रद्धांजलि भी अर्पित
की। कठिन परिस्थितियों में ड्यूटी कर रहे BSF के
जवानों के पुरुषार्थ की प्रशंसा करते हुए श्री धनखड़ ने कहा कि ऐसी तपती धूप में
कुछ मिनट भी खड़ा रहना मुश्किल है। चारोंतरफ का वातावरणचुनौतीपूर्ण है और सीमा पर
आपको एकपलक झपकाने की भी फुर्सत नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि - हिमालय की ऊंची
पहाड़ियाँ, थार का तपता हुआ रेगिस्तान, पूर्वोत्तर
के घने जंगल, दल-दल से भरे रण-क्रीक में सीमा सुरक्षा बल के जवानों की जो
मुस्तैदी है, वह बेमिसाल है। उपराष्ट्रपति
ने कहा कि सीमा सुरक्षा बल के जवान हर पल आप अपने मोटो “जीवन पर्यन्त कर्तव्य” को चरितार्थ कर रहें हैं। उनके परिवारजनों को त्याग को स्मरण करते
हुए श्री धनखड़ ने कहा कि “मैं नमन करता हूं आज उन माताओं को जिन्होंने आप जैसे वीर सुपुत्र
और वीरांगनाओं को जन्म दिया है और राष्ट्र की सेवा के लिए समर्पित किया है।”
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