देश में पहले केंद्र
सरकार के मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए AIPMT का आयोजन होता था। वहीं, राज्य सरकार के कॉलेज में दाखिले के लिए हर राज्य
की अलग परीक्षा होती थी। इस व्यवस्था में छात्रों को लगातार कई सारे टेस्ट देने
पड़ते थे। इससे परेशानी होती थी और फॉर्म भरने का खर्च भी काफी ज्यादा होता था।
इसके बावजूद अधिकतर छात्र AIPMT के साथ
सिर्फ एक या दो अन्य राज्यों
की परीक्षा में ही बैठ पाते थे। कई बार छात्र एक जगह
एडमिशन ले लेते थे और बाद में बेहतर मौका मिलने पर सीट छोड़ देते थे। इस वजह से
कुछ सीटें खाली भी रह जाती थीं। इन्हीं को खत्म करने के लिए एक परीक्षा NEET लाई गई। इसके जरिए सभी कॉलेज में एडमिशन के लिए एक
ही टेस्ट देना होता था, लेकिन अब इसमें
गड़बड़ी के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं।
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