झारखंड राज्य के
सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज रिम्स में हाल में 100 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाले जाने और
इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी होने के बाद मात्र 33 डॉक्टरों का ही चयन किया जा सका। इन पदों के लिए रिम्स में बीते 12 से 17 अगस्त तक इंटरव्यू लिए गए थे। रिम्स निदेशक डॉ.राजीव गुप्ता बताते हैं
कि सभी संकायों के लिए कुल 58 आवेदक
ही इंटरव्यू के लिए पहुंचे थे। मेडिसिन, ऑर्थो, नेत्र, रेडियोलॉजी, ब्लडबैंक, कार्डिएक
एनेस्थिसिया, सुपरस्पेशलिटी
इमरजेंसी और सेंट्रल इमरजेंसी में कई पद खाली रह गए। इसी तरह बीते सितंबर महीने
में जेपीएससी (झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन) की ओर से गैर शैक्षणिक विशेषज्ञ
चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए आयोजित इंटरव्यू में बेहद कम संख्या में उम्मीदवार
पहुंचे। नॉन टीचिंग स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के 771 पदों के लिए इंटरव्यू लिया गया, जिसमें मात्र 266 उम्मीदवार
ही इंटरव्यू में शामिल हुए। इससे पूर्व भी आयोग की ओर से साल 2015 में 654 पदों पर नियुक्ति के लिए इंटरव्यू लिया गया था,लेकिन उम्मीदवारों के नहीं आने से 492 पद खाली रह गए। डॉक्टरों के सरकारी नौकरी में
दिलचस्पी न लेने की पीछे कई वजहें हैं।
एक तो ज्यादातर डॉक्टरों को कॉरपोरेट और
प्राइवेट हॉस्पिटल्स में ऊंचे पैकेज की नौकरियां रास आ रही हैं,दूसरी वजह यह है कि उन्हें झारखंड के ग्रामीण
क्षेत्रों और संसाधनविहीन हॉस्पिटलों में पोस्टिंग पसंद नहीं है। कई डॉक्टर्स बड़े
शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। गौरतलब है कि झारखंड में सरकार को डॉक्टर ढूंढ़े नहीं मिल रहे हैं। बार-बार वैकेंसी निकाले जाने के बाद भी मेडिकल
कॉलेजों से लेकर प्रखंडों के अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों के पद
बड़ी संख्या में खाली रह जा रहे हैं। जितनी संख्या में वैकेंसी निकल रही है, उतनी संख्या में भी आवेदक नहीं आ रहे।
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