कई लोग मेडिकल
के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना चाहते है लेकिन पढ़ाई के दौरान कन्फ्यूज रहते हैं कि वह बीफॉर्मा
चुनें या फिर डीफॉर्मा। आज इस विषय
पर आपसे कुछ महत्वपूर्ण पहलुओ पर चर्चा करेंगे। दरअसल डीफॉर्मा एक डिप्लोमा कोर्स है,जिसका
फुल फॉर्म है डिप्लोमा इन फॉर्मेसी। वहीं बीफॉर्मा ग्रेजुएशन कोर्स है, जिसका
फुल फॉर्म है। बैचलर्स इन फॉर्मा. दोनों कोर्स 12वीं के बाद किए जा सकते हैं। डीफॉर्मा
के लिए साइंस से 12वीं पास के साथ 50 फीसदी अंक होना अनिवार्य है। वहीं
बीफॉर्मा के लिए पीसीबी या पीसीएम से 12वीं होना चाहिए। डीफॉर्मा औऱ बीफॉर्मा में बेहतर क्या है, यह अभ्यर्थी की व्यक्तिगत पसंद पर
निर्भर करता है। जो कम
खर्चे में कम समय में कोर्स करना चाहता है उनके लिए
डीफॉर्मा बेस्ट है। वहीं जो लॉन्ग टर्म के लिए सोचता हो उसके लिए बीफॉर्मा सही है।
वैसे फुल टाइम ग्रेजुएशन डिग्री होने के कारण बीफॉर्मा की वैल्यू डीफॉर्मा के
मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। डीफॉर्मा करने के बाद आपके पास नौकरी और बिजनेस दोनों
ऑप्शन खुले रहेंगे। आप या तो प्राइवेट अस्पतालों या दवा बनाने वाली कंपनियों में
काम कर सकते हैं। वहीं बिजनेस में इंट्रेस्ट रखने वाले अपना मेडिकल स्टोर खोल सकते
हैं। इसके अलावा सरकारी नौकरी के भी मौके होते हैं। जिसमें आप आसानी से 40 से
60 हजार
की सैलरी वाली नौकरी पा सकते हैं।
वहीं बीफॉर्मा करने वाले भी फॉर्मासिस्ट बन सकते हैं या फिर सरकारी नौकरी कर सकते हैं। बीफॉर्मा पास लोक सेवा आय़ोग या फिर कर्मचारी चयन आयोग की भर्तियों के माध्यम से भी सरकारी नौकरी पा सकते हैं। साथ ही उनके पास ड्रग इंस्पेक्टर बनने का मौका भी होता है। बीफॉर्मा वाले भी सरकारी नौकरी में आसानी से 40 से 60 हजार रूपए कमा सकते हैं। वहीं प्राइवेट अस्पतालों या कंपनियों में योग्यता के आधार पर सैलरी ज्यादा भी हो सकती है।
No comments:
Post a Comment