महाराष्ट्र
में बीते लगभग एकवर्ष से राजनीति के उतार चड़ाव में कई बदलाव आए। शिवसेना से विद्रोह के बाद पिछले साल जून में शिवसेना विभाजित हो गई थी और एकनाथ शिंदे ने ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार को गिरा दिया। इस साल 2 जुलाई को अजित पवार और आठ विधायकों के शिंदे सरकार में शामिल होने के
बाद एनसीपी को विभाजन का सामना करना पड़ा था। उस वक्त अजित पवार ने शरद पवार को
झटका देते हुए शिवसेना और बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम
पद
की शपथ ली और उनके साथ आए विधायकों को भी आगे चलकर राज्य में मंत्री पद मिला।
जैसे ही अजित पवार ने शरद पवार का साथ छोड़ा उन्होंने फिर एनसीपी पार्टी और अध्यक्ष
पद को लेकर भी दावा कर दिया है। इसकी
सुनवाई निर्वाचन आयोग कर रहा है। राज्यसभा सदस्य व शिवसेना (यूबीटी) के
नेता संजय राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि अगर बीजेपी अजित पवार खेमे और
शिंदे नीत शिवसेना के सांसदों और विधायकों को टिकट देती है तो वे उसके चुनाव चिह्न
पर लड़ेंगे।
राउत ने दावा किया कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अजित पवार
गुट और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना के विधायक और सांसद भविष्य
में बीजेपी पार्टी में शामिल हो जाएंगे। उन्होंने कहा, मेरे पास जो विश्वसनीय जानकारी है, उसके अनुसार अजित पवार खेमे (राकांपा) के अधिकतर विधायक और सांसद तथा
शिंदे खेमे के लगभग सभी विधायक और सांसद भविष्य में बीजेपी में शामिल हो जाएंगे। राउत ने कहा कि शिंदे और अजित पवार खेमों के विधायकों और सांसदों को
क्रमश: तीर कमान और घड़ी चुनाव चिह्न नहीं मिलेंगे और उन्हें बीजेपी के चुनाव चिह्न पर मैदान
में उतरना होगा। राउत ने दावा किया कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार
को छोड़ने वाले अधिकतर सांसद-विधायक चुनाव हार जाएंगे।
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