महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके 39 समर्थक शिवसेना से बगावत कर बीजेपी में
शामिल हो गए थे और पार्टी दो गुटों में बंट गई थी। इसके बाद विधायकों की अयोग्यता
को लेकर ठाकरे गुट और शिंदे गुट ने एक-दूसरे के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अब इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को
दोनों गुटों के विधायकों की अयोग्यता पर 31
दिसंबर या
उससे पहले फैसला लेने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उद्धव ठाकरे ने अपनी
प्रतिक्रिया दी। उन्होंने अपने विधायकों के साथ-साथ विधान परिषद सदस्यों से भी
सुप्रीम कोर्ट का आदेश पढ़ने को कहा उन्होंने कहा कि 31 दिसंबर
को हम
महाराष्ट्र की अक्षम सरकार को अलविदा कह देंगे। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने
साफ कहा है कि संविधान की 10वीं अनुसूची की
पवित्रता बरकरार रखी जानी चाहिए। विधायकों की अयोग्यता
को लेकर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ
ने कहा कि प्रक्रियात्मक जटिलताओं के कारण अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय लेने में
कोई देरी नहीं होनी चाहिए।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा
अध्यक्ष से अजित पवार गुट के नौ विधायकों को सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराने के
अनुरोध वाली एनसीपी की याचिका पर 31
जनवरी, 2024 तक निर्णय लेने को भी कहा। महाराष्ट्र
सचिवालय की ओर से कोर्ट में एक हलफनामा दायर किया गया था, जिसमें दिवाली की छुट्टियों और विधानसभा
के शीतकालीन सत्र का हवाला देते हुए इस मामले में फैसले के लिए 29 फरवरी 2024 तक का समय मांगा गया था, जिस पर कोर्ट ने अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने
नाराजगी जताते हुए कहा कि इसके लिए इतना लंबा इंतजार करने की जरूरत नहीं है।
दिवाली और सत्र को छोड़कर 30
दिन हैं, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष 31 दिसंबर तक इस पर फैसला लें।
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