बिहार सरकार
की विशेष सचिव के सुहिता अनुपम की ओर से जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को इस संदर्भ में चिट्ठी लिखी गई है। त्योहारों के वक्त हिंसा को रोकने के लिए बिहार में
सीएम नीतीश कुमार की सरकार ने त्योहारों पर निकलने वाले जुलूसों को लेकर बड़ा
फैसला लिया है। इस फैसले के तहत बिहार में जुलूस के दौरान तलवार, लाठी, बंदूक और अन्य हथियार के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई है। पत्र में कहा गया है कि जुलूस या शोभायात्राओं
में भाग ले रहे कम से कम 20-25 लोगों से अंडरटेकिंग लिया जाए कि जुलूस में कानून-व्यवस्था बनी रहेगी।
उन 20-25
लोगों का नाम, पता और आधार कार्ड का नंबर भी लिया जाए।
जुलूस में उत्तेजक,
भड़काउ गाने, नारेबाजी और प्रतिबंधित हथियार पूरी तरह से बैन रहेंगे। गृह विभाग की
ओऱ से जारी की गई चिट्ठी में कहा गया है कि त्योहार के अवसर पर धार्मिक जुलूस में
शामिल लोगों द्वारा लाउडस्पीकर या माइक्रोफोन से काफी ऊंची आवाज में नारे लगाने या
डीजे बजाने या परंपरागत हथियारों के प्रदर्शन से सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है और
इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है। चिट्ठी में लिखा गया है कि
त्योहारों पर पैदा होने वाले तनाव और अन्य घटनाओं पर नियंत्रण करने की दिशा में
धार्मिक जुलूसों को विनियमित करने के लिए बिहार पुलिस अधिनियम 2007 की धारा 66(2) और बिहार पुलिस हस्तक 1978 के नियम 23 में प्रावधन है।
सरकार ने जुलूस निकालने से पहले लाइसेंस जारी करने
का निर्देश जारी है। जिलों के DM और SP को लिखी गई चिट्ठी में इस बात का जिक्र है। जुलूस में तेज लाउड स्पीकर
और डीजे बजाने की इजाजत नहीं दी गई है। सरकारी आदेश के मुताबिक आवाज ध्वनि सीमा के
अंदर ही रखनी होगी। चिट्ठी में इस बात का जिक्र है कि धार्मिक जुलूस के लिए जारी
होने लाइसेंस में यह शामिल किया जाएगा कि माइक्रोफोन और पब्लिक एड्रेस सिस्टम का
शोर उस क्षेत्र के लिए निर्धारित मानक स्तर से अधिक न हों।
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