डॉ.वैभव
सैनी ने जानकारी देते हुए बताया कि अक्टूबर माह में ब्लैक फंगस के 15 मरीज इलाज के लिए पहुंचे थे। जबकि इस नवंबर माह
के पहले सप्ताह में भी 11
मरीज भर्ती हो चुके है। ब्लैक फंगस के
अचानक से बढ़ते मामलों का पता लगाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि पंजाब
सरकार को ब्लैक फंगस के इलाज के लिए आवश्यक इंजेक्शनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने
के साथ-साथ फंगल संक्रमण के खिलाफ जन जागरूकता अभियान भी चलाना चाहिए। डॉ. वैभव
सैनी ने कहा कि चेहरे के एक तरफ साइनस दर्द या नाक की रुकावट, एक तरफा सिरदर्द, सूजन या सुन्नता, दांत
दर्द और दांतों का ढीला होना ब्लैक फंगस के शुरूआती लक्षण है इन्हें
नजरअंदाज नहीं
किया जाना चाहिए। मरीजों का समय पर इलाज किया जाना जरूरी है। टास्क फोर्स के
प्रभारी डॉ. वैभव सैनी ने कहा कि साल 2021 में
कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान एक चिकित्सा टीम का गठन किया गया था। एम्स
के डॉक्टरों ने तब से अब तक ब्लैक फंगस के लगभग 200 मरीजों का इलाज किया है,लेकिन
पीजीआई के बाद यह सार्वजनिक क्षेत्र की एकमात्र स्वास्थ्य सुविधा है जो ब्लैक फंगस
के मरीजों को संभाल रही है। वहीं अक्टूबर से अब तक जो 26 मरीज भर्ती हुए है उनका मधुमेह का स्तर बढ़ा
हुआ था। वहीं अब लोगों को जल्द से जल्द इस महामारी के बारे में जागरूक करने की
आवश्यकता है।
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) बठिंडा के विशेषज्ञों ने पिछले एक महीने में
ब्लैक फंगस मरीजों की संख्या बढ़ने पर चिंता जताई,आंकड़ों के अनुसार, 1 अक्टूबर से अब तक बठिंडा और आसपास के जिलों से
ब्लैक फंगस के 26 मरीजों की इलाज किया गया है। टास्क
फोर्स के प्रभारी डॉ. वैभव सैनी ने कहा कि जनवरी से सितंबर तक एम्स में ब्लैक फंगस
के हर महीने लगभग
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