हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य में पान का बहुत
अधिक महत्व है। लगभग सभी पूजा-अनुष्ठान में पान के पत्ते का उपयोग किया जाता है। संस्कृत
में पान के पत्ते को तांबूल कहा जाता है,शास्त्रों में इसे
बहुत शुभ और मंगलकारी माना गया है। ज्योतिष एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पान
के पत्ते से जुड़े कुछ उपाय हैं जिनको अपनाकर आप अपने जीवन की समस्याओं को दूर कर
सकते हैं। यदि आप बहुत दिनों से किसी कार्य को करने का प्रयास कर रहे हैं या आपको
अपने जॉब में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है तो घर से बाहर जाते समय जेब में पान का
पत्ता रखकर जाएं। आप चाहें तो अपने पर्स में भी पान का पत्ता रखकर जा सकते हैं।
मान्यता है कि ऐसा करने से
आपके सभी कार्य बिना किसी विघ्न के पूरे होंगे। घर में
वास्तुदोष होने के कारण घर की सुख-शांति भंग होती है,कलह का
माहौल रहता है। दुकान या प्रतिष्ठान में वास्तुदोष होने से हमेशा घाटा होता रहता
है। घर या प्रतिष्ठान में वास्तुदोष व नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए पान के
पत्ते से हल्दी मिश्रित जल का छिड़काव करें। ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर तो
दूर होगी और धन लाभ भी होगा।
यदि आपके दांपत्य जीवन में तनाव रहता है तो शुक्रवार
के दिन पान के एक पत्ते में 7 गुलाब की ताज़ा पंखुड़ियां रखें और इसे
माता लक्ष्मी के मंदिर में अर्पित करें,यदि आप मंदिर नहीं जा सकती हैं तो घर में
ही लक्ष्मी जी की तस्वीर के पास इसे रखें,लेकिन ध्यान रहे इस पर किसी बाहरी
व्यक्ति की नजर न पड़े। यह उपाय कम से कम 4 शुक्रवार तक आजमाएं,धीरे-धीरे
पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगलवार और शनिवार
के दिन हनुमान जी को लगा हुआ पान अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके लिए
सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर हनुमान मंदिर में पान हनुमान जी के
चरणों में अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से बजरंगबली उस व्यक्ति के सारे कष्ट हर
लेते हैं।
काफी प्रयास करने के बाद यदि आपका व्यवसाय नहीं चल रहा है तो शनिवार के
दिन 5 पान के साबुत पत्ते लेकर एक ही धागे में बांध दें। इस
धागे को अपनी दुकान में पूर्व दिशा में बांध दें। हर शनिवार को यह पत्ते और धागा
बदल दें। पुराने पत्तों को जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपके व्यवसाय में
आ रही बाधा दूर होती हैं। पान के पत्ते में देवी-देवताओं का वास माना जाता है। मंगलवार
और शनिवार के दिन 11 पान के पत्ते लेकर उन पर लाल चन्दन से
राम नाम लिखें और पीले या लाल धागे से उनकी एक माला बनाकर हनुमानजी के गले में
धारण करवा दें एवं रोग मुक्ति की प्रार्थना करें।
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