रज़ा अकादमी के मौलाना खलील उर रहमान ने कहा
कि अल कबीर है और अल अरबिया है। यह सब जैन लोगों की कंपनी है। कोई और करता तो उसकी
मॉब लिंचिंग हो जाती है। यह सब मुस्लिम नाम से चल रहे हैं। यह सब देवबंद से ही
सर्टिफिकेट लेते हैं। इनपर कोई एक्शन क्यों नहीं लेते? किस चीज़ का बैन कर
रहे हैं? हमारी थाली में आकर देखोगे क्या खा रहे हैं, हलाल खा रहे हैं या
हराम खा रहे हैं, आपको क्या हक है? आपके बाप का राज है?
आप लोगों को धमका रहे हैं, आपकी गुंडागर्दी
नहीं चलेगी। मौलाना खलील उर रहमान नूरी ने हलाल प्रोडक्ट को
लेकर चल रहे मामले पर कहा कि योगी जी को हर जगह टेरर दिखता है क्योंकि वो खुद एक
दहशतगर्द रह चुके हैं। इस पर कितने मर्डर के केस हैं। बहुत सार जैन और हिंदू गाय
का मांस मुस्लिम नाम से बेचते हैं उन पर कर्रवाई नहीं करेंगे। शरीयत ने हमे हलाल
और हराम की जानकारी दी है, मार्केट में जो कंपनियां बेचती हैं, उनके बहुत से
प्रोडक्ट में हराम चीज़े शामिल हैं तो मुसलमान देखकर खाते हैं। 2014 से यही लोगों को बांट रहे हैं, यह हलाल सर्टिफिकेट
किसको बाटेंगे।
मौलाना ने कहा कि हर किसी को हक है कि उसे जो खाना है, बेचना है, बेचे। जमाने से
दारुल उलूम सर्टिफिकेट दे रहा है। परफ्यूम में अल्कोहल होता है, उसे लगाकर नमाज नहीं
पढ़ सकते हैं। अल्कोहल हमारे धर्म में नजायज है। नेलपॉलिश में हो सकता है, गाय और सुवर की
चर्बी हो वो तो हराम है। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार की मानसिकता ही खराब है।
पब्लिक इसको इस नजरिए से नहीं देखती है। हर चीज पर नहीं आता है हलाल सर्टिफिकेट।
सिर्फ गल्फ देशों में जो जाता है,
उस पर ही सर्टिफिकेट लगता है। भारत में ऐसी कई
कंपनी हैं जो बीफ का एक्सपोर्ट करती हैं। 2024 का मुद्दा बना रहे
हैं। अगर टेरर फंडिंग हो रहा था तो अब तक कहां सो रहे थे। आपकी बड़ी एजेंसियां
कहां थीं। केस तो आप पर चलना चाहिए। जो चाहे वो इस वक्त करें, 2024 के बाद बिस्तर लेकर चले जायेंगे फिर खुद इनकी जांच होगी। उन्होंने कहा
कि हमको हक है हमको हलाल या हराम खाना है तो वो हम देखकर खाएं।
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